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# इस्लाम_क्या_है
मुल्क शाम में एक शहर है हम्स आज से हज़ारों साल पहले ये
शहर में सब ईसाई थे सिर्फ़ एक मुसलमान था और हम्स के
बाजार में सब ईसाइयों की दुकान थी सिर्फ़
एक मुसलमान की अनाज की दुकान
थी…
एक ईसाई आप की दुकान पर आया बोला भाई साहब
आप की दुकान पर जौं है आप ने कहा जी
है ईसाई ने कहा मुझे 5 किलो देदो मुसलमान दुकानदार ने कह भाई मैं
नहीं बेचूँगा आप सामने वाली दुकान से ले
लीजिए ईसाई सोच मैं पड गया कितना बेवकूफ
आदमी है मैं सामान खरीद रहा हूँ और
कीमत भी दे रहा हूँ…
मगर ये कहता है कि सामने वाली दुकान से ले लो तो
मुस्लिम दूकानदार कहने लगा भाई दरअसल बात ये है
की मेरी दुकान पर सुबह से कई ग्रहक
आ चुके हैं मेरे बीवी बच्चों के खाने का
इंतिज़ाम अल्लाह ने कर दिया है मगर मैं सुबह से देख रहा हूँ
मेरे सामने वाली दुकान पर कोई ग्रहक
नहीं गया है मैं सोचता हूँ उस के खाने का इंतिज़ाम हो
जाये मैं नहीं चाहता की मेरा
पडोसी भूखा सोये और मैं पेट भर खा कर सोऊँ इस लिए
आप सामने वाली दुकान से जौ ले लीजिये
ईसाई सामने वाली ईसाई की पर जौ
खरीद कर फिर मुसलमान की दुकान पर
लौटा हज़रत ने कहा भाई अब क्यों आये हो तो ईसाई ने कहा ऐ
मुसलमान! मैं तेरी दुकान पर अब जौ लेने
नहीं आया हूँ…
मैं तुम्हारे पास दीन इस्लाम लेने आया हूँ मुझे कलमा
पढ़वा कर इस्लाम में दाखिल कर लीजिये और मुसलमान
बना लीजिये हज़रत ने ईसाई को कलमा पढवा कर
इस्लाम में दाखिल कर लिया subhanallah अल्लाह ताला हम सब
मुसलमानों को इस्लाम के सच्चे रास्ते पर चलने की
तौफीक अता फरमाये… आमीन या रब्बुल
आलमीन!

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