जहन्नम बहुत ही बुरी कयामगाह(रूकने की जगह) है| जिसे अल्लाह ने काफ़िर, मुशरिक, फ़ासिक व फ़ाजिर के लिये तैयार कर रखा हैं| अल्लाह ने कुरान मे जगह-जगह इसका तस्किरा फ़रमाया जिसमे जहन्नम की हौलनाकियो का ज़िक्र हैं-
जहन्नम को देखते ही काफ़िरो के चेहरे काले सियाह हो जायेंगे| (सूरह युनुस सूरह नं0 10 आयत नं0 27)
जहन्नमी आज़ाब से तंग आकर मौत की आरज़ू करेगा लेकिन उसे मौत न आयेगी| (सूरह फ़ुरकान सूरह नं0 25 आयत नं0 13)
जहन्नम की आग न ज़िन्दा छोड़ेगी न मरने देगी| (सूरह आला सूरह नं0 87 आयत नं0 13)
जहन्नम मे काफ़िरो को बन्द करके ऊपर से दरवाज़े बन्द कर दिये जायेगे| (सूरह हुमज़ा सूरह नं0 आयत नं0 8-9)
जहन्नमियो के ज़ख्मो से बहने वाला खून, पीप और खौलता पानी जहन्नमियो को दिया जायेगा| (सूरह इब्राहिम सूरह नं0 14 आयत नं0 16-17)
जहन्नमियो के लिये आग का औढ़ना होगा| (सूरह आराफ़ सूरह नं0 7 आयत नं0 41), वगैराह
अब ज़रा जहन्नम का तस्किरा हदीसो से देखे-
जहन्नम मे गिराया गया पत्थर 70 साल बाद जहन्नम की तह मे पहुंचता हैं| (मुस्लिम)
जहन्नम का सबसे हल्का आज़ाब आग के दो जूते पहनने का होगा जिससे जहन्नमी का दिमाग खौलने लगेगा| (मुस्लिम)
जहन्नमी की एक दाढ़ उहद पहाड़ से भी बड़ी होगी| (मुस्लिम)
जहन्नमी के दोनो कंधो का फ़ासला तेज़ रफ़तार सवार 3 दिन मे तय करेगा| (मुस्लिम)
जहन्नमी की के जिस्म की खाल 42 हाथ(लगभग 63 फ़िट) मोटी होगी| (तिर्मिज़ि)
दुनिया मे तकब्बुर करने वालो को चींटियो के बराबर जिस्म दिया जायेगा| (तिर्मिज़ि)
जहन्नमी इस कद्र आंसू बहायेंगे के उनमे नाव चलाई जा सकेगी| (मुस्तदरक हाकिम)
जहन्न्मियो को दिये जाने वाले खाने (थूहर)का एक टुकड़ा दुनिया मे गिरा दिया जाये तो सारी दुनिया के जानदारो के खाने-पीने का सामान बरबाद कर दे| (निसाई, तिर्मिज़ि, इब्ने माजा), वगैराह
ये हैं वो हौलनाक जगह जिसको बार-बार कुरान और हदीस नबवी मे जहन्नम के नाम से ज़िक्र किया गया हैं|
जहन्नम के वजूद का सबूत
हज़रत जाबिर रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सं ने फ़रमाया – मैने अबू समामा अम्र बिन मालिक को जहन्नम मे देखा कि वह अपनी आंते जहन्नम मे घसीट रहा था| (मुस्लिम)
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सं ने फ़रमाया – जब तुममे से कोई आदमी मर जाता हैं तो उसे सुबह शाम उसका ठिकाना दिखाया जाता हैं अगर जन्नती हैं तो जन्नत अगर जहन्नमी हैं तो जहन्नम| (बुखारी)
बिला शक व शुबह नबी सं की ये हदीस मुबारक जहन्नम के वजूद का सबूत हैं लिहाज़ा लोगो को इससे डरना चाहिये के कही उनकी दीन से बेरगबती और गफ़लत उनके जहन्नमी होने का सबब न बन जाये| इसके अलावा कुरान मे बेशुमार आयते जहन्नम के वजूद का सबूत पेश करती हैं|
जहन्नम के दरजात
हज़रत अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब रज़ि0 से रिवायत हैं के उन्होने अर्ज़ किया – ऐ अल्लाह के रसूल सं अबू तालिब आपकी हिफ़ाज़त करते थे और आप सं के लिये दूसरो से नाराज़ होते थे क्या यह चीज़ उनके किसी काम आयेगी? आप सं ने इरशाद फ़रमाया – हां ! अब वह जहन्नम के ऊपर के दर्जे मे हैं अगर मैं उनके लिये सिफ़ारिश न करता तो वह जहन्नम के सबसे निचले दर्जे मे होते| (मुस्लिम)
इसके अलावा जहन्नम के दर्जो के बारे मे अल्लाह ने कुरान मे इरशाद फ़रमाया – यकीनन मुनाफ़िक जहन्नम के सबसे निचले दर्जे मे होंगे और तुम किसी को उनका मददगार ना पाओगे| (सूरह निसा सूरह नं0 4 आयत नं0 145)
हज़रत समरा रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सं ने फ़रमाया – कुछ लोगो को (जहन्नम की)आग टखनो तक जलायेगी, कुछ लोगो को कमर तक जलायेगी और कुछ लोगो को गर्दन तक जलायेगी| (मुस्लिम)
इसके अलावा जहन्नम के मुख्तलिफ़ दर्जे हैं जिसे अल्लाह ने कुरान मे ब्यान किया-
अल जहीम(भड़कती हुई आग का गढ़डा हैं) देखे सूरह नाज़िआत सूरह नं0 79 आयत नं0 37-39)
हुतमह(चकनाचूर कर देने वाली) देखे सूरह हुमज़ह सूरह नं0 104 आयत नं0 4-6)
हावियह(गहरी खाई) देखे सूरह कारिअह सूरह नं0 101 आयत नं0 8-11)
सकरा(सख्त झुलसा देने वाली) देखे सूरह मुद्दस्सिर सूरह नं0 74 आयत नं0 26-29)
लज़ा(भड़कती हुई आग की लपट) देखे सूरह मआरिज सूरह नं0 70 आयत नं0 15-18)
सईर(दहकती हुई आग) देखे सूरह मुल्क सूरह नं0 67 आयत नं0 10-11)
इसके अलावा जहन्नम के आग के कितने दर्जे हैं और कैसे हैं इसका इल्म सिर्फ़ अल्लाह ही को हैं|
जहन्नम कि वुसअत
हज़रत अबू हुरैरा रज़ि0 से रिवायत हैं के एक बार हम नबी सं के साथ थे के अचानक धमाके की आवाज़ सुनी नबी सं ने पूछा – जानते हो ये आवाज़ कैसी थी? रावी कहते हैं हमने अर्ज़ किया – अल्लाह और उसके रसूल बेहतर जानते हैं| आप सं ने फ़रमाया – यह एक पत्थर था जो आज से 70 साल पहले जहन्नम मे फ़ेंका गया था और वह आग मे गिरता चला जा रहा था और अब वह जहन्नम की तह तक पहुंचा हैं| (मुस्लिम)
कयामत के दिन हम जहन्नम से पूछेंगे क्या तू भर गयी हैं? वह कहेगी क्या और कुछ हैं? (सूरह काफ़ सूरह नं0 आयत नं0 30)
हज़रत अनस बिन मालिक से रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सं ने फ़रमाया – जहन्नम मुसलसल कहती रहेगी कुछ और हैं, कुछ और हैं? यहां तक की रब्बुल इज़्ज़त तबारक व तआला अपना कदम मुबारक जहन्नम मे डालेंगे तब जहन्नम कहेगी – तेरी इज़्ज़त की कसम! बस बस | और जहन्नम सिमट जायेगी| (मुस्लिम)
गौर तलब हैं जिस जगह की गहराई सिर्फ़ इतनी ज़्यादा हैं के उसमे फ़ेंके गये पत्थर को भी उसकी तह तक पहुंचने मे 70 साल लगे तो उसकी लम्बाई चौड़ाई कैसी होगी|
जहन्नम की आग
जहन्नम मे सबसे बड़ा अज़ाब आग का होगा जिसके बारे मे नबी सं0 ने फ़रमाया के ये दुनिया की आग से 69 दर्जे ज़्यादा गर्म हैं| इस बात का अन्दाज़ा यूं लगाया जा सकता हैं दुनिया मे अगर दुनिया की आग को अगर कम से कम भी 2000 डिग्री सेंटीग्रेड मान लिया जाये तो जहन्नम की आग 138000 डिग्री सेंटीग्रेड होगी जोकि आम इन्सान के तसव्वुर से भी बाहर हैं| गौर फ़िक्र की बात ये के अमूमन सख्त गर्मियो मे जब पारा 40-45 डिग्री सेंटीग्रेड के लगभग होता हैं या जून जुलाई के महीने मे जब लू की तपीश होती हैं तो आम इन्सान की बर्दाश्त के बाहर होता हैं और तो और कमज़ोर, बीमार और बूढ़े किस्म के इन्सान अकसर बर्दाश्त न कर पाने की सूरत मे फ़ौत हो जाते हैं| जबकि दुनिया की इस सख्त गर्मी के बारे मे नबी सं0 ने फ़रमाया के दुनिया की ये सख्त गर्मी जहन्नम की सांस(या भाप) की वजह से हैं|
अगर सज़ा के तौर पर इन्सान को सिर्फ़ जला डालना ही होता तो दुनिया की आग ही तमाम इन्सान को सज़ा देने के लिये काफ़ी होती जिससे इन्सान चन्द लम्हो मे जलकर खाक हो जाता लेकिन जहन्नम की आग हमेशा की सज़ा के तौर पर काफ़िर और मुशरिक को सज़ा देने के लिये तैयार की गयी| लिहाज़ा जहन्नम की आग दुनिया की आग के कयी दर्जे गर्म होने के बाद भी जहन्नमी का किस्सा खत्म नही करेगी बल्कि आग का ये अज़ाब जहन्नमियो को हमेशा दिया जाता रहेगा| अल्लाह ने कुरान मे फ़रमाया-
न जान लेगी न जान छोड़ेगी| (सूरह मुदस्सिर सूरह नं0 74 आयत नं0 28)
नबी सं0 को ख्वाब मे इन्तिहाई बदसूरत शक्ल का आदमी दिखाया गया जो मुसलसल आग जला रहा था और उसके चारो तरफ़ दौड़-दौड़ कर भड़का रहा था| नबी सं0 ने जिब्रील अलै0 से पूछा – ये कौन हैं? जिब्रील अलै0 ने फ़रमाया – इसका नाम मालिक हैं और ये जहन्नम का दरोगा हैं| (बुखारी) लिहाज़ा जहन्नम का दरोगा आज भी जहन्नम की आग को भड़का रहा हैं और कयामत तक मुसलसल भड़काता रहेगा| इसके अलावा जहन्नमियो के जहन्नम मे चले जाने के बावजूद जहन्नम की आग को भड़काने का यह अमल मुसलसल जारी रहेगा| इरशादे बारी ताअला हैं-
जहन्नम की आग जैसे ही धीमी होने लगेगी हम उसे और भड़का देंगे| (सूरह बनी इसराईल सूरह नं0 17 आयत नं0 97)
जहन्नम के अज़ाब
जिस तरह दुनिया मे मुजरिमो को उनके जुर्म के हिसाब से सज़ा दी जाती हैं जिस जेल जाना तो हर मुजरिम को पड़ता हैं साथ ही जेल मे भी उसे दूसरे किस्म की अलग-अलग सज़ा दी जाती हैं| ठीक इसी तरह जहन्नम मे जाने वाले हर काफ़िर और मुश्रिक को जहन्नम मे आग का अज़ाब तो दिया ही जायेगा साथ ही इसके साथ उसे दूसरे किस्म के और दूसरे अज़ाब भी दिये जायेंगे| जिनका नीचे तज़्किरा किया जा रहा हैं-
ज़हरीले बदबूदार खाने और खौलते गर्म पानी का अज़ाब – खाने-पीने के मामले मे अमूमन हर इन्सान का अपना-अपना मिजाज़ होता हैं कुछ लोग अमूमम बासी चीज़ खाना-पीना तक गंवारा नही करते बाज़ तो छूना तक पसन्द नही करते| कुछ खाने-पीने मे नमक-मिर्च की मामूली कमी भी बर्दाश्त नही करते| आज मुंह के सिर्फ़ इस ज़ायके के लिये तरक्की याफ़ता मुल्को मे खाने पीने के अनगिनत किस्म के खाने और पीने की चीज़ तैयार की गयी हैं| आखिरत की ज़िन्दगी मे जो सबसे पहला मामला हर इन्सान के साथ आयेगा वो प्यास का होगा जिसकी शिद्दत नाकाबिले बरदाश्त होगी| जन्नत मे दाखिल होने से पहले जनाब मुहम्मद सं0 तमाम अहले ईमान को हौज़े कौसर से पानी पिलायेंगे| काफ़िर, मुश्रिक, अहले बिदअत भी अपनी प्यास बुझाने के लिये हौज़े कौसर की तरफ़ रुख करेंगे लेकिन उन्हे हौज़े कौसर से दूर कर दिया जायेगा| (बुखारी)
जिसके सबब काफ़िर, मुश्रिक और बिदअती एक लम्बा वकफ़ा प्यास की शिद्दत मे गुज़ारेंगे और फ़िर इसी हालत मे जहन्नम मे भेज दिये जायेंगे|(सूरह मरयम सूरह नं0 19 आयत नं0 86)
जहन्नम मे जाने के बाद जब जहन्नमी खाना तलब करेंगे तो उन्हें थूहर का पेड़ और कांटेदार झाड़ दिया जायेगा| जहन्नमी न चाहते हुये भी एक-एक लुकमा करके हलक मे उतारेंगे जिससे उनकी भूख तो न मिटेगी अलबत्ता उनके अज़ाब मे और इज़ाफ़ा हो जायेगा| यहां ध्यान देने वाली बात ये के थूहर का पेड़ और कांटेदार झाड़ जहन्नम मे ही पैदा होंगे जिसका मतलब ये दोनो खाने कम से कम इतने गर्म ज़रुर होंगे जितनी जहन्नम की आग होगी| दूसरे लफ़्ज़ो मे यह खाने आग के अंगारे होंगे जिन्हें जहन्नमी अपनी भूख मिटाने के लिये निगलेगा| जहन्नम का खाना असल मे जहन्नम का एक दर्दनाक अज़ाब ही की बदतरीन शक्ल होगी|
जहन्नम मे जब जहन्नमी खाने के बाद पानी तलब करेंगे| तो उन्हें दरोगा ए जहन्नम पानी के चश्मे पर ले जायेगा जहां सख्त गर्म पानी होगा| गौर करने वाली बात ये के ये पानी जहन्नम की गर्मी मे इस कदर गर्म होगा और भाप न बनकर पानी की ही शक्ल मे होगा| जहन्नमी जब उसका पहला घूंट पियेगा तो उसके मुंह का सारा गोश्त गल कर नीचे गिर पड़ेगा| (मुस्तदरक हाकिम) और जो हिस्सा पेट मे जायेगा उससे सारी आंते कट कर पीठ के रास्ते कदमो मे आ गिरेगी| (तिर्मिज़ी)
लिहाज़ा जहन्नम का पानी पीना भी एक आज़ाबे अलीम हैं|
सर मे खौलते पानी उंडेलने का अज़ाब – काफ़िरो के लिये यह एक और तकलीफ़देह अज़ाब होगा| फ़रिश्तो को हुक्म दिया जायेगा – इसको पकड़ लो और घसीटते हुये जहन्नम के बीच मे ले जाओ और उसके सर पर खौलते पानी का अज़ाब उंडेल दो| (सूरह अद दुखान सूरह नं0 44 आयत नं0 47-48) इस आयत की तशरीह नबी सं0 ने इरशाद फ़रमाया – कि जब खौलता पानी काफ़िर के सर पर डाला जायेगा तो यह उसके सर मे छेद करके जिस्म के अंदर के तमाम हिस्सो को जला डालेगा और फ़िर ये हिस्से पीछे के रास्ते निकल कर उसके कदमो मे आ गिरेंगे| (मुस्नद अहमद)
सर मे छेद करने के बाद सबसे पहले खौलता पानी काफ़िर के दिमाग को जलायेगा जो उसकी नफ़्सानी ख्वाहिशात का मर्कज़, नाहक सोच और मुशरिकाना अकीदो का मर्कज़ था जिस दिमाग से वो इस्लाम और मुसल्मानो के खिलाफ़ धोखे की चाले चलता रहा|
आग की तंग कोठरियो मे ठूंसने का अज़ाब – जहन्नम के तकलीफ़देह अज़ाबो मे से एक ये होगा की काफ़िरो के हाथ और पांव भारी ज़ंजीरो से बांध कर इंतिहाई तंग कोठरियो मे ठूंस दिये जायेंगे और ऊपर से दरवाज़े सख्ती से बन्द कर दिये जायेंगे, न हवा का गुज़र होगा, न रोशनी की चमक नज़र आयेगी और न कोई राहे फ़रार होगा| हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि0 फ़रमाते हैं जहन्नम काफ़िर के लिये इस तरह तंग होगी जिस तरह नेज़े की अन्नी लकड़ी के दस्ते मे सख्ती से ठूंसी जाती हैं|
इस अज़ाब का अंदाज़ा लगाने के लिये प्रेशर कूकर का तसव्वुर करिये जिसमे एक हज़ार आदमियो के लिये गुन्जाइश हो लेकिन उसमे ज़बरदस्ती दो हज़ार आदमी ठूंस दिये जाये और उनके हाथ-पांव भी बंधे हो न सांस लेने की गुन्जाइश हो न किसी तरह की हिलने की और तो और इस कूकर का ढक्कन बंद करके आग पर रख दिया जाये| ज़रा तसव्वुर मे लाये के ये मंज़र कितना भयानक होगा और ऐसी हालत मे काफ़िर मौत को पुकारेगा लेकिन मौत नही आयेगी| इरशाद बारी ताअला हैं- जब मुजरिम लोग जहन्नम की तंग व अंधेरी कोठरी मे हाथ-पांव बांधकर फ़ेंके जायेगे तो अपने लिये मौत को पुकारेंगे| (उस वक्त उनसे कहा जायेगा) आज एक नही बहुत सी मौतो को पुकारो| (सूरह फ़ुरकान सूरह नं0 25 आयत नं0 13-14)
लेकिन ऐसे मे मौत का कोई नामो निशान न होगा क्योकि मौत तो पहले ही ज़बह की जा चुकी होगी और काफ़िर लोग इसी अज़ाब मे हमेशा-हमेशा के लिये फ़ंसे रहेंगे|
चेहरे पर आग के शोले बरसाने का अज़ाब – जहन्नम पूरी तरह से आग ही आग हैं सर से पांव तक मुजरिमो का सारा जिस्म आग मे ही जल रहा होगा इसके बावजूद अल्लाह ने कुरान मे कुछ मुजरिमो के चेहरो पर आग के शोले बरसाने और चेहरो को आग से तपाने का खास ज़िक्र फ़रमाया हैं – उस रोज़ तुम देखोगे मुजरिम लोगो के हाथ और पांव ज़ंजीरो मे जकड़ें होंगे| उनका लिबास तारकोल/गंधक का होगा और आग के शोले उनके चेहरो पर छाये जा रहे होंगे| (सूरह इब्राहिम सूरह नं0 14 आयत नं0 49-50)
इन्सान के पूरे जिस्म मे चेहरे को अल्लाह ने खूबसूरती, हुस्न, इज़्ज़त कि निशानी बनाया हैं| खूबसूरत आंखे, खडी नाक, साफ़-सुथरे कान, नर्म होठ, जवानी मे काले बाल इन्सान की खूबसूरती को बढाते हैं| चेहरे के इसी वकार के सबब नबी सं ने हुक्म दिया की बीवी को तरबियत के लिये मारना पड़े तो चेहरे पर ना मारो| (इब्ने माजा)
तिब्ब के लिहाज़ से भी चेहरा बहुत ही नाज़ुक होता हैं और किसी किस्म के मामलात मे सबसे पहले इन्सान के चेहरे का रंग बदलता हैं जैसे गुस्सा आने की सूरत मे सबसे पहले चेहरा सुर्ख हो जाता हैं| चेहरे पर किसी किस्म की तकलीफ़ हो तो पूरा जिस्म मुतस्सिर होता हैं| अमूमन जब किसी मुजरीम को मारा-पीटा जाता हैं तो सबसे पहले वो अपना चेहरा हाथो से छुपा लेता हैं| लेकिन जहन्नम के अज़ाब मे जब हाथ-पांव बंधे होगा और साथ ही हिलना भी मुमकीन न होगा तो ऐसी सूरत मे क्या हाल होगा जब चेहरा आग के अज़ाब मे मुसलसल झुलसता रहेगा| इरशाद बारी ताअला हैं – काश! काफ़िर लोग उस वक्त का यकीन कर ले जब वो अपना मुंह आग से बचा न सकेगें और न अपनी पीठे आग से बचा सकेंगे और न वो कही से मदद पायेंगे| (सूरह अंबिया सूरह नं0 21 आयत नं0 39)
गुरुजो और हथौड़े की मार का अज़ाब – जहन्नम मे काफ़िर और मुशरिको को लोहे के गुरुजो और हथौडे से मारने का अज़ाब भी होगा| इरशाद बारी ताअला हैं – और (काफ़िर को मारने के लिये) लोहे के गुरुज होंगे| (सूरह हज सूरह नं0 22 आयत नं0 21) इरशादे नबवी हैं की काफ़िरो को मारने वाला गुरुज इस कदर वज़नी होगा कि अगर एक गुरुज ज़मीन पर रख दिया जाये और ज़मीन पर बसने वाले सारे के सारे इंसान और जिन्न उसे उठाना चाहे तो नही उठा सकेंगे| (मुस्नद अबू याला)
जहन्नम से पहले कब्र मे भी काफ़िरो को गुरुजो और हथौड़ो की मार का अज़ाब दिया जायेगा| अज़ाबे कब्र की तफ़सील ब्यान करते हुये नबी सं0 ने इरशाद फ़रमाया – मुंकिर-नकीर के सवालो के जवाब मे नाकाम होने के बाद काफ़िर पर अंधा और बहरा फ़रिशता मुसल्लत कर दिया जाता हैं जिसके पास लोहे का गुरुज होता हैं| जो इतना वज़नी होता हैं कि अगर उसे किसी पहाड़ पर मारा जाये तो वो ज़र्रा-ज़र्रा हो जाये| उस गुरुज से वह अंधा और बहरा फ़रिश्ता उसे मारेगा जिससे काफ़िर चीखे और चिल्लायेगा| आप सं ने मज़ीद फ़रमाया – काफ़िर की चीख व पुकार की आवाज़े मशरिक व मगरिब के बीच जिन्न व इन्सान के अलावा हर जानदार मख्लूक सुनती हैं| फ़रिशते की ज़र्ब से काफ़िर मिट्टी हो जायेगा फ़िर उसमे रूह डाली जायेगी| (मुसनद अबू याला) यही अमल बार-बार दोहराया जायेगा यहा तक के कयामत कायम हो जायेगी|
ज़हरीले सांपो और बिच्छुओ के डसने का अज़ाब – जहन्नम मे ज़हरीले सांपो और बिच्छुओ के डसने का भी अज़ाब होगा| सांप और बिच्छू दोनो इन्सान के दुश्मन समझे जाते हैं और दोनो के नाम मे इस कद्र खौफ़ और वहश्त हैं कि अगर किसी जगह सांप और बिच्छुओ का ठिकाना हो तो वहां रहना तो दूर की बात कोई व्यक्ति गुज़रने का खतरा भी मोल लेने को तैयार नही होगा| कुछ सांपो की शक्ल व सूरत, रंगत, लम्बाई और हरकात ऐसी होती हैं कि उन्हे देखते ही इन्सान के होश चले जाते हैं|
सांप या बिच्छू ज़्यादा से ज़यादा किस कद्र ज़हरीला हो सकता है? उसका इल्म अल्लाह के सिवा किसी को भी नही हो सकता लेकिन तजुर्बो की बुनियाद पर कुछ किताबो मे मौजूद तशरीह की बुनियाद से यह फ़ैसला करना मुश्किल नही की सांप इन्तिहाई खतरनाक और इन्सान का जानलेवा दुश्मन हैं|
दक्षिण पश्चिम फ़्रांस मे वाकेअ सांपो के मर्कज़ से एक ज़हरीले सांप के बारे मे कुछ मालूमात शाया हुई हैं जिसके मुताबिक यह डेढ़ मीटर लम्बा सांप अपने ज़हर से एक वक्त मे पांच आदमियो को मार सकता हैं| फ़रवरी 1999 ई0 मे जामिया मुल्क सऊद, रियाज़, सऊदी अरब मे तालिबे इल्म के लिये एक तालीमी नुमाईश हुई जिसमे दुनिया के मुख्तलिफ़ मुल्को के इन्तिहाई ज़हरीले सांपो की नुमाईश की गयी| उनमे से कुछ के बारे मे यह मालूमात दी| अरबी कोबरा जो अरब मुमालिक मे पाया जाता हैं इस कद्र ज़हरीला होता हैं के इसके ज़हर का सिर्फ़ 20 मीली ग्राम ज़हर 70 किलो वज़नी इन्सान को तुरन्त हलाक कर देता हैं जब्कि यह कोब्रा एक वक्त मे अपने मुंह से 200 मिली ग्राम से 300 मिली ग्राम तक ज़हर दुश्मन पर फ़ेंकता हैं किंग कोबरा जो कि हिन्दुस्तान और पाकिस्तान मे पाया जाता हैं का डसा हुआ आदमी भी तुरन्त हलाक हो जाता हैं| इंडोनेशिया का थूंक फ़ेंकने वाला ज़हरीला सांप दो मीटर लम्बा होता हैं और ये तीन मीटर के फ़ासले से इन्सान की आंख मे पिचकारी की तरह ज़हर फ़ेंकता हैं जिससे इन्सान तुरन्त मर जाता हैं|
जहन्नम से पहले कब्र मे भी काफ़िरो को सांपो के डसने का अज़ाब दिया जायेगा जिसकी तफ़सील बताते हुये नबी सं ने फ़रमाया – काफ़िर जब मुन्किर नकीर के सवालो के जवाब मे नाकाम हो जाता हैं तो उस पर 99 सांप छोड़ दिये जाते हैं जो कयामत तक उसका गोश्त नोचते रहते हैं और उसे डसते रहते हैं| कब्र के सांप के बारे मे नबी सं ने फ़रमाया कि अगर वो सांप ज़मीन पर एक बार फ़ुंकार मार दे तो ज़मीन पर कभी सब्ज़ा न उगे| (मुसनद अहमद) कब्र के सांप के बारे मे इब्ने हिबान की रिवायत मे यह भी बताया गया हैं की एक एक अजदहे के सत्तर मुंह होंगे जिनसे वो काफ़िर को कयामत तक डसता रहेगा|
जहन्नम के सांप और बिच्छू के बारे मे नबी सं ने मज़ीद बताया के – सांप क कद ऊंट और बिच्छू का कद खच्चर के बराबर होगा और उसके एक बार डसने से काफ़िर 40 साल तक तकलीफ़ महसूस करता रहेगा| (मुसनद अहमद) गौरतलब हैं के जब दुनिया मे इन्सान को कोई सांप या बिच्छू काटता हैं तो इन्सान किस कदर तकलीफ़ का सामना न जाने कितने दिन तक करता हैं वो भी सिर्फ़ एक बार कांटने पर जबकि मरने के बाद काफ़िर को मुसलसल सांप कांटते रहे जिससे सबब तकलीफ़ मे सिर्फ़ इज़ाफ़ा ही होगा|
बदन को बड़ा करने का अज़ाब – मौजूदा कद कामत मे जहन्नम का अज़ाब बर्दाश्त कर पाना नामुकिन होगा इसलिये जहन्नमी की कद कामत को बहुत ज़्यादा बढ़ाया जायेगा जो कि खुद एक बहुत बड़े अज़ाब की सूरत होगी| नबी सं ने फ़रमाया – जहन्नम मे काफ़िर का एक दांत उहद के पहाड़ के बराबर होगा| (मुस्लिम) कुछ काफ़िरो की खाल की मोटाई तीन दिन की मुसाफ़त(चलने) के बराबर होगी| (मुस्लिम) कुछ की मोटाई 42 हाथ (तकरीबन 63 फ़ीट) के बराबर होगी| (तिर्मिज़ी) कद कामत का ये फ़र्क काफ़िरो के आमाल के बिनाह पर होगा| कुछ काफ़िरो के दोनो कंधो का फ़ासला तेज़ रफ़तार से दौड़ते सवार की तीन दिन के चलने के बराबर होगा| कुछ काफ़िरो के कूल्हे मक्का से मदीना के बीच की दूरी के बराबर होगे(यानि 410 किमी0)| (तिर्मिज़ी) कुछ काफ़िरो के बाज़ू और राने पहाड़ के बराबर होगी| (अहमद)
ज़रा गौर करे के जब इन्सान का जिस्म ज़रूरत से ज़्यादा भारी होता हैं और उसका चलना भी उसके लिये दुशवार हो जाता हैं लेकिन जहन्नम मे इतने बड़े जिस्म को मुसलसल सांप बिच्छू के डसने का अज़ाब, आग मे जलाने का अज़ाब और न जाने कितने शदीद किस्म के अज़ाब से दो चार होना पड़ेगा| वल्लाहो आलम
सख्त सर्दी का अज़ाब – जिस तरह आग इन्सानी जिस्म को जला देती हैं उसी तरह सख्त सर्दी भी इन्सानी जिस्म को शदीद तकलीफ़ देती हैं| जहन्नम मे सख्त सर्दी का अज़ाब होगा और जहन्नम के उस हिस्से को ज़महरीर कहते हैं| (सूरह दहर सूरह नं0 76 आयत नं013) ये सर्दी कितनी सख्त होगी इसका अन्दाज़ा सिर्फ़ इस बात से लगाया जा सकत हैं के जहन्नम सिर्फ़ सज़ा देने के लिये हैं और उसकी सर्दी भी दुनिया के मुकाबले ऐसी सख्त होगी के उसका तसव्वुर भी आम इन्सान नही कर सकता क्योकि दुनिया की सर्दी तो इन्सान बर्दाश्त कर लेता हैं लेकिन जहन्नम तो हैं ही अज़ाब के लिये तो वहा कैसे बचाव होगा|
जहन्नम का सबसे हल्का अज़ाब
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सं फ़रमाया – जहन्नम का सबसे हल्का अज़ाब अबू तालिब को होगा और उन्हे आग की दो जूतिया पहनाई जायेगी जिससे उनका दिमाग खौलेगा| (मुस्लिम)
हज़रत नोमान बिन बशीर रज़ि0 ने खुत्बा देते हुये यह बात कही की मैने नबी सं को फ़रमाते हुये सुना हैं की – क्यामत के दिन जिस इन्सान को सबसे ह्ल्का अज़ाब दिया जायेगा उसके पांव के तलवो के नीचे आग के दो अंगारे रख दिये जायेगे जिससे उसका दिमाग खौलेगा| (मुस्लिम)
गौर तलब हैं के जहन्नम के अकसर अज़ाब सिर्फ़ आग के ही होंगे ख्वाह इन्सान के गुनाह कितने ही कम क्यो न हो लेकिन ये कम दर्जे के अज़ाब भी इन्सान को इतनी तकलीफ़ देंगे के वो भी उसके बर्दाश्त के बाहर होगी|
जहन्नमियो का लिबास, बिस्तर, छतरिया और कनाते
ये दो गिरोह हैं जिनके बीच अपने रब के मामले मे झगड़ा हैं उनमे से जिन्होने कुफ़्र किया उनके लिये आग के लिबास कांटे का चुके हैं उनके सरो पर खौलता हुआ पानी डाला जायेगा जिससे उनकी खाले ही नही पेट के अन्दर के हिस्से तक गल जायेगे| (सूरह हज सूरह नं0 22 आयत नं0 19-20)
काफ़िरो के लिये जहन्नम (की आग) का बिछौना और जहन्नम (की आग) का ही ओढ़ना होगा यह हैं वह बदला जो हम ज़ालिमो को दिया करते हैं| (सूरह आराफ़ सूरह नं0 7 आयत नं0 41)
उनके लिये आग की छतरिया ऊपर से भी छाई होगी और नीचे भी छतरियां होगी| यह हैं वह अंजाम जिससे अल्लाह अपने बन्दो को डराता हैं| तो ऐ मेरे बन्दो! मेरे गज़ब से बचो| (सूरह ज़ुमर सूरह नं0 39 आयत नं0 16)
लिहाज़ा जहन्नमियो की सज़ा के अलावा भी उनका रहन सहन और पहनावा भी जहन्नम की आग का होगा जो दुनिया की आग के मुकाबले मे कई गुना ज़्यादा हैं और ये सिर्फ़ इसलिये के वो दुनिया मे कुफ़्र करते थे|
जहन्नम मे गुमराह आलीमो, पीरो और उनके मुरीदो के झगड़े
जब ये लोग जहन्नम मे एक दूसरे से झगड़ रहे होग़े तो दुनिया के हिसाब से जो कमज़ोर होगें वे बड़ा बनने वालो से कहेंगे (दुनिया मे ) हम तुम्हारे मानने वाले थे| अब क्या तुम यहां जहन्नम की आग की तकलीफ़ के कुछ हिस्से से हमे बचा लोगे? बड़ा बनने वाले जवाब देंगे, हम सब यहां एक ही हाल मे हैं| अल्लाह बन्दो के बीच फ़ैसले कर चुक हैं| (सूरह मोमिन सूरह नं0 40 आयत नं0 47-48)
जिस दिन उनके चेहरे आग मे उलट पलट किये जायेगे उस वक्त ये कहेगे काश हमने अल्लाह और उसके रसूल की इताअत की होती| और फ़रियाद करेगे ऐ हमारे रब! हमने अपने सरदारो और अपने बड़ो की इताअत की उन्होने हमे सीधे राह से गुमराह कर दिया| ऐ हमारे रब! अब उन्हें दोहरा अज़ाब दे और उन पर सख्त लानत कर| (सूरह अहज़ाब सूरह नं0 33 आयत नं0 66-68)
(गुमराह उल्मा और आवाम) एक दूसरे कि तरफ़ मुतवज्जह होकर सवाल जवाब करेगे| (अवाम) कहेगे कि तुम हमारे पास आकर कसमे खाते थे (कि हम तुम्हारी हक की तरफ़ रहनुमाई कर रहे हैं गुमराह उल्मा) कहेगे तुम खुद ही ईमान लाने वाले नही थे हमारा तुम पर कोई ज़ोर नही था| तुम लोग खुद ही नाफ़रमान थे| आखीरकार हम अपने रब के उस फ़रमान के हकदार हो ही गये हम अज़ाब का मज़ा चखने वाले हैं चूंकि हम खुद गुमराह थे लिहाज़ा तुम्हें भी गुमराह किया| उस दिन वे सब (गुमराह करने वाले और गुमराह होने वाले) आज़ाब मे (एक दूसरे) के साथी होंगे| (सूरह साफ़्फ़ात सूरह नं0 37 आयत नं0 27-33)
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