Islamic Blog

☆जंगल की हिरनी…..
……
♥एक जंगल मे एक हिरनी रहती थी। उसके दो बच्चे थे। एक बार वह बाहर निकली तो शिकारी ने जाल बिछा रखा था। बेखबर हिरनी उस जाल मे फंस गई। जब उसने देखा की मै तो फंस गई हुं। तो बड़ी परिशान हुई। उसकी खुश किस्मती देखीये की उसी जंगल मे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) तशरिफ लाते हुए नजर आये। जब उसने हुजुर रहमते आलम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को देखा तो पुकारी या रसुलल्लाह! मुझ पर रहम फरमाइये। हुजुर ने उसकी पुकार सुनी और उसके पास तशरिफ लाकर फरमाये। क्या हाजत है??
वह बोली हुजुर! मै इस आराबी के जाल मे फंस गई हुं। मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे है। जो इस करीब के पहाड़ो मे है। थोड़ी देर के लिए आप मेरी जमानत देकर इस जाल से मुझे अजाद करा दिजीए। ताकी मै आखरी एक मर्तबा बच्चो को दुध पिला आऊं। हुजुर! मै दुध पिलाकर फिर वापस यही आ जाऊंगी। हुजुर ने फरमाया : अच्छा जा मै तुम्हारी जमानत देता हुं। और तुम्हारी जगह यही ठहरता हुं तु बच्चो को दुध पिलाकर जल्दी वापस आ जा।
चुनांचे:-
हिरनी को आपने रिहा कर दिया। और वहां खुद क्याम फरमा हो गये। आराबी जो मुस्लमान न था कहने लगा। अगर मेरा शिकार वापस न आया तो अच्छा न होगा। हुजुर ने फरमाये:- तुम देखो तो सही की हिरनी वापस आती है या नही??
चुनांचे:-
हिरनी बच्चो के पास पहुंची और बच्चो को दुध पिलाकर फौरन वापस लौटी। आते ही हुजुर के कदमो पर सर डाल दिया। यह एजाज देखकर वह आराबी भी कदमो पर गीर गया–
{शिफा शरिफ जिल्द-2, सफा-76,

mm
Latest posts by Færhæn Ahmæd (see all)