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कैसे होते हैं मोहम्मद के घराने वाले ।

इमामे हुसैन RadiAllahu anhu के फ़रज़न्द इमाम ज़ैनुल आबिदीन लोगों में खाना तक़सीम कर रहे,

एक शख्स ने कहा “आप ने मुझे पहचाना नहीं ”

आप ने फ़रमाया ” मैं तुझे कैसे भूल सकता हूँ जब हम करबला में कैदी थे, तूने हमें पत्थर मारा था ”

उस शख्स की आँखों में आंसू आ गए उसने रोते हुए आवाज़ में कहा “आप फिर भी मुझे खाना दे रहे है”

आप अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया “उस वक़्त हम तेरे दर पे आये थे और वो तेरा सुलूक था अब तू हमारे दर पे आया है और ये आले मुहम्मद का सुलूक है”

[ “ऐसे होते है मुहम्मद के घराने वाले” ]
[ “सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम” ]

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