* हज़रत सय्यदना शाह आले रसूल मारहरवी रज़ी अल्लाहो तआला अन्हु की बारगाह में एक शख्स आये,उनके दिल में ये ख्याल आया कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम को मेराज शरीफ चंद लम्हों में कैसे हो गई,हज़रत उस वक़्त वुज़ू फरमा रहे थे,आपने उनसे कहा की अंदर तौलिया टंगी है लेते आओ,वो शख्स जब अंदर गए तो क्या देखते हैं कि कमरे में एक खिड़की है,उस पार एक पुर फ़िज़ा बाग़ नज़र आया,ये बाग़ में उतर गए,टहलते टहलते शहर में पहुँच गए, वहां पहुंचकर कारोबार शुरू कर दिया,शादी भी कर ली,बाल बच्चे भी हो गए,इसी तरह पूरे 20 साल गुज़र गए,एक दिन बैठे थे कि यक बयक एक आवाज़ आई कि अरे भाई तौलिया क्यों नहीं लेकर आये अब तक,ये भागे भागे कमरे में पहुंचे और तौलिया उठाकर जब हज़रत के पास पहुंचे तो क्या देखते हैं कि हज़रत वहीँ बैठे हैं,जिस्म वुज़ू के पानी से भीगा हुआ है,ये इंतिहाई शशदर में हज़रत को देख रहे हैं कि हज़रत ने मुस्कुराकर फरमाया क्यों अब यकीन आया कि चंद लम्हों में हुज़ूर को मेराज कैसे हो गई
📕 महफिले औलिया,सफह 513
सुब्हान अल्लाह
सबक़ – अल्लाह के वलियों को अल्लाह की अता से बेशुमार ताकत मिलती है वो आन की आन में खुद कहीं भी जा सकते हैं जैसा कि आलाहज़रत फ़रमाते हैं
* अल्लाह का वली अगर चाहे तो 1000 शहरों की 1000 दावत में एक ही वक़्त मे हाज़िर हो जाये और हर जगह वो खुद मौजूद होगा
📕 अलमलफ़ूज़,जिल्द 1,सफ़ह 103
और किसी को भी कहीं भी पहुंचा सकते हैं उन्हें दिल के ख़तरात का भी इल्म होता है लिहाज़ा अगर अल्लाह के वलियों के दरबार में हाज़िरी दें तो अपने दिल को संभाल कर जाएँ फिर चाहे वो हयात में हों या अपने मज़ार में.
Message of the day
किसी ऊँची जगह चढ़ते वक़्त “अल्लाहु अकबर” कहो
बुखारी: 2994
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. किसी निची जगह उतरते वक़्त “सूब्हानअल्लाह” कहो
बुखारी: 2994
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. जब कोई तुम्हारा हाल पुछे तो “अल्हम्दुलिल्लाह” कहो
तबरानी औसत: 4374
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किसी काम का इरादा या वादा करते वक़्त “इंशाअल्लाह” कहो
बुखारी: 5242
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जब कोई तुम पर अहसान करे उसे “जज़ाक अल्लाहु ख़ैर” कहो तिर्मिज़ी: 1954
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नेमत मिलने पर “अल्हम्दुलिल्लाह” कहो
इब्न माजह: 3805
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किसी मुसिबत या मौत की ख़बर सुनने पर “इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैहि राजिऊन” कहो ।
मुस्लिम: 2126
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छिंक आने पर “अल्हम्दुलिल्लाह” कहो और सुनने वाला “यरहमुकल्लाह” कहे
मुस्लिम: 2992
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किसी अच्छी चिज़ देखने पर “माशाअल्लाह ला क़ुव्वता इल्लाबिल्लाह” कहो
इब्न सुन्नी: 207
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घर मे दाख़िल होते वक़्त “बिस्मिल्लाह” कहो
मुस्लिम: 2078
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ईमान ताज़ा करने के लिए “ला इलाहा इल्लल्लाह मूहम्मदुर्रसूलुल्लाह” कहो अहमद: 8718
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घर से निकलते वक़्त “बिस्मिल्लाही तवक्कलतु अलल्लाह ला हौला वला क़ुव्वता इल्लाबिल्लाह” कहो
अबु दाऊद: 5095
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अपने क़रीब मरने वालों को “ला इलाहा इल्लल्लाह मूहम्मदुर्रसूलुल्लाह” पढ़ने की हिदायत दो ।
मुस्लिम: 916
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