आज से बहुत साल पहले अल्लाह ने “इंसान” को बनाया यानी “मर्द” को… उस वक़्त अल्लाह ने मुझे उसके साथ नहीं बनाया, फिर मर्द को इल्म अता किया, और सारे फ़रिश्तों को उसे सजदा करने को कहा, मैं उस वक़्त भी नहीं थी…।
मुझे अल्लाह ने इसके काफ़ी देर बाद बनाया, और अजीब बात ये है के मर्द को अल्लाह ने मिट्टी से बनाया, बेजान मिट्टी से, बे रौनक मिट्टी से, ऐसी मिट्टी जिसमें ख़ुशबू तक नहीं थी…। लेकिन मुझे अल्लाह ने उसी मर्द की पसली से पैदा किया…। अजीब बात है ना! मुझे एक ऐसी चीज़ से बनाया गया जिसे अल्लाह ने इल्म की ताक़त दी… जिसे अल्लाह ने फ़रिश्तों से सजदा करवाया… जिसको सजदा करने से इनकार पर इबलीस हमेशा के लिए मरदूद क़रार दे दिया गया… जिसे अल्लाह ने ज़मीं पर अपनी ख़िलाफ़त के लिए मुंतख़ब किया…।
कैसी अजीब बात है कि मर्द के लिए इस्तेमाल होने वाला मटीरियल बिलकुल आम और मामूली था, और मुझे बनाने के लिए लिया जाने वाला मटीरियल कितना आली था… हर वो खूबी वाला जो #रब ने चाहा…।
फिर भी कुछ लोग ज़मीं पर मुझे कभी वो इज़्ज़त, क़दर, और वो एहमियत नहीं देते जो मर्द को हासिल है, जो मेरा हक़ है…। जानते हैं क्यों..?
क्योंकि मैं एक औरत हूँ…।
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