1991-में सिर्फ एक रात में बन कर तैय्यार होने वाली मस्जिद-ख़ुबसुरती ऐसी के आंखें ख़ुली रह जाए..!!
क्या जिन्नात या जिन नाम की कोई चीज़ होती है
क्या जिन्न के अन्दर इतनी शक्ति होती है
अगर जिन्न होते हैं तो वो हमें क्यों नहीं दिखते है..!!
ये कोई अफवाह नहीं बल्कि वो सच है जिसे इस्लाम के अलावा कोई स्वीकार नहीं करता क्योंकि मॉडर्न लोग इसे एक ढकोसला बता देते हैं ताकि उनके कारोबार में कहीं कमी ना आ जाए ये जो आलीशान मस्जिद आप देख रहें हैं
ये किसी दिव्या शक्ति के बिना बनाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है क्योंकि मस्जिद में प्रयुक्त किये गए ऐसे ऐसे पत्थर जिनका वज़न-200-किलो से
लेकर-500-किलो तक है इतने वज़न पत्थर उठाकर तीस फीट ऊंचाई की दीवार बनाना नामुमकिन है..!!
मस्जिद तिबान मलंग मलेशिया जिसे जिन्नातों ने एक रात में बना दिया था
ये मस्जिद मलेशिया के मलंग शहर ईस्ट जावा में स्थित है ऐसा कहा जाता है के इस मस्जिद को जिन्नातों ने सिर्फ़ एक रात में बना दिया था..!!
और ये वाकिया-1991-में हुआ था-1991-को बीते अभी ज़्यादा दिन नहीं हुए हैं जिन लोगो के सामने ये मस्जिद बनी थी वो आज भी मौजूद हैं पूरा इलाक़ा जानता है की ये मस्जिद अलियंज ने बनाई थी इसके बनाने के पीछे उनका क्या मकसद हो सकता है ये जांच का विषय है..!!
मस्जिद की खूबसूरती आप देख सकते हैं जबकि वहाँ के मक़ामी लोग कहते हैं के इसे बनाने में किसी आर्किटेक्ट की मदद नही ली गई थी वैसे ये एक हमेशा से चर्चा का विषय है के इसे जिन्नातों की फ़ौज ने बनाया है लेकिन उस बात से कोई इंकार नही कर सकता के ये सिर्फ़ एक रात में ही बन कर तैयार हो गई थी..!!
जी हाँ जैसा की आप मस्जिद के ले-आउट और तरह तरह के व्यूज़ देखकर ही अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये मस्जिद कोई साधारण मस्जिद नहीं है..!!
बल्कि इसके पीछे कोई न कोई रहस्य ज़रूर छिपा हुआ है स्थानीय लोगो का साफ़ कहना है की ये मस्जिद जब हम लोग सुबह सो-कर उठे तो ये मस्जिद बनी हुई मिली थी..!!
मस्जिद में की गयी नक़्क़ाशियाँ भी बता रहीं हैं की ये कोई साधारण बिल्डिंग नहीं है बल्कि इसका इंटीरियर और औतार किसी अच्छे आर्किटेक्चर का भी नहीं बल्कि दूसरी दुनिया के लोगो का लगता है..!!
मस्जिद इतनी खूबसूरत है की जो बन्दा इसमें फज्र की नमाज़ पढने जाता है वो ईशा की नमाज़ पढ़कर निकलता है इस मस्जिद का पुरसुकून माहौल आपको इस मस्जिद में ठहरने के लिए मना लेगा और आप शांति को देखकर यही कहोगे काश मैं सारी ज़िन्दगी इसी मस्जिद में झाड़ू लगता रहता लोगों ने बताया कि नमाज़ पढ़ने जाने वाले लोगों को इस मस्जिद में इतना आराम मिलता है नींद के झोंके आने लगते हैं..!!
ये मस्जिद देखर ही साफ़ जाहिर हो रहा है की ये किसी आर्किटेक्चर का काम नहीं बल्कि इसके पीछे कोई अद्रश्य ताक़त है इस मस्जिद से पहले भी कई मस्जिद हमने देखी हैं जिनको जिन्नातों ने तामीर करवाया है गंगा किनारे यूपी के जिला बुलंदशहर का एक गाँव जिसका नाम आहार में भी एक ढाई सौ साल पुरानी मस्जिद बताई जाती है जिसे रातों रात जिन्नातों ने तैयार की थी मैं खुद उस मस्जिद में गया हूँ..!!
काफी पुरानी उस मस्जिद में नमाज़ पढने का चाँस नहीं बन पाया या यूँ कहिये अल्लाह ने उस मस्जिद में हमारे सजदे क़ुबूल न करने थे..!!
आप क्या अंदाजा लगायेंगे इस मस्जिद का यही न की इतनी अच्छी कारीगरी और नक्काशी दुनिया में नहीं मिलती है मेरठ का एक मशहूर स्थान है जिसे शाह पीर गेट नाम से जाना जाता है शाहपीर गेट दरगाह के लिए प्रसिद्द है..!!
कहा जाता है की एक बार मस्जिद की किल्लत हुई तो जिन्नातों ने शाहपीर की दरगाह पर मस्जिद की चिनाई चालू कर दी कहते हैं की जब आख़िर में तामीर का काम चल रहा था तब गुम्बद पर काम चल रहा था सिर्फ़ गुम्बद का आख़िरी टॉप तामीर होने से बच गया था जैसे ही फज्र की अजान की आवाज़ आई जिन्नातों ने जो काम जैसा था वैसा ही छोड़कर गायब हो गए आज भी उस होल से बरसात का पानी टपकता है..!!
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