بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
मिस्वाक की फ़ज़ीलत
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : मिस्वाक में मुंह की पाकीज़गी और अल्लाह की ख़ुशनूदी का सबब है।
[سنن النسائي]
शरीअत में मिस्वाक से मुराद वो लकड़ी है जिस से दांत साफ किये जाएं। सुन्नत ये है की ये किसी फूल या फलदार दरख्त की न हो कड़वे दरख्त की हो। मोटाई छोटी ऊँगली के बराबर हो, लंबाई बालिश्त से ज़्यादा न हो। दांतो की चौड़ाई में की जाए न की लंबाई में। बे दांत वाले मसूढ़ों पर ऊँगली फेर लिया करे।
मिस्वाक इतने मक़ाम पर सुन्नत है :
वुज़ू में, क़ुरआन पढ़ते वक़्त, दांत पिले होने पर, भूक या देर तक ख़ामोशी या बे ख्वाबी की वजह से मुंह से बदबू आने पर।
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