Islamic Blog

चाश्त की नमाज कम से कम दो रकअत और ज्यादा से ज्यादा बारह रकअत है । हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो शख़्स चाश्त की दो रकअतों को हमेशा पड़ता है । उसके गुनाह बख़्श दिये जायेंगे अगरचे वह समुन्द्र के झाग के बराबर हो । ( तिर्मिजी जि . 1 स . 62 – 63 )

नमाजे तहज्जुद

नमाज़ तहज्जुद का वक़्त इशा की नमाज़ के बाद सोकर उठे उसके बाद से सुबह सादिक तुलूअ होने के वक़्त तक है । तहज्जुद की नमाज़ कम से कम दो रकअत और ज्यादा से ज्यादा हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से आठ रकअत साबित है । हदीसों में इस नमाज़ की बहुत ज्यादा फजीलत बयान की गई है । ( सिहाहे सित्ता )

सलातुत्तस्बीह

इस नमाज़ का बे – इनतेहा सवाब है । हदीस शरीफ में है कि हुजुरे अकदस सल्लल्लाहुअलैहि वसल्लम ने अपने चचा हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से फ़रमाया कि ऐ मेरे चचा ! अगर हो सके तो सलातुत्तस्बीह हर रोज़ एक बार पढ़ो और अगर रोज़ न हो सके तो हर जुमा को एक बार पढ़ो और यह भी न हो सके तो हर महीने में एक बार और यह भी न हो सके तो साल में एक बार और यह भी न हो सके तो उम्र में एक बार । इस नमाज़ की तरकीब यह है कि तकबीरे तहरीमा के बाद सना पढ़े ।

फिर पन्द्रह मर्तबा यह तस्बीह पढ़े सुब्हानल्लाहि वल्हम्दु लिल्लाहि व ला इला – ह इल्लल्लाहु वल्लाहु अक्बरु फिर अऊजु बिल्लाह और बिस्मिल्लाह और सूरह फ़ातिहा और कोई सूरह पढ़ कर रुकूअ से पहले दस बार ऊपर वाली तस्बीह पढ़े । फिर रुकूअ करे और रुकूअ में सुब्हा—न रब्बियल अजीम तीन मर्तबा पढ़कर फिर दस बार ऊपर वाली तस्बीह पढ़े ।

फिर रुकूअ से सर उठाये औरसमिअल्लाहु लिमन् हमिदह और रब्बना लकल् हम्दु पढ़ कर फिर खड़े खड़े दस मर्तबा ऊपर वाली तस्बीह पढ़े | फिर सज्दा में जाये और तीन मर्तबा सुबुहा – न रब्बियल् अअला पढ़ कर फिर दस मर्तबा ऊपर वाली तस्बीह पढ़े । फिर सज्दा से सर उठाये और दोनों सज्दों के दर्मियान बैठ कर दस मर्तबा ऊपर वाली तस्बीह पढ़े फिर दूसरे सज्दा में जाये औरसुब्हा – न रब्बियल् अअ्ला तीन मर्तबा पढ़े फिर इसके बाद ऊपर वाली तस्बीह दस मर्तबा पढ़े । इसी तरह चार रकअत पढ़े । और ख्याल रहे कि खड़े होने की हालत में सूरह फ़ातिहा से पहले पन्द्रह मर्तबा ऊपर वाली तस्बीह पढ़े । हर रकअत में पचहत्तर मर्तबा तस्बीह पढ़ी जायेगी और चार रकअतों में तस्बीह की गिनती तीन सौ मर्तबा होगी । अपने ख्याल से गिनता रहे या उंगलियों के इशारों से तस्बीह का शुमार करता रहे । ( मिश्कात जि . 1 स . 117 )

Asalam-o-alaikum , Hi i am noor saba from Jharkhand ranchi i am very passionate about blogging and websites. i loves creating and writing blogs hope you will like my post khuda hafeez Dua me yaad rakhna.
mm