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* नमाज़े ज़ोहर :-

1. फ़ज़ीलत:- अमीरुल मोअमिनीन हज़रत ओ मर फारूक रदियल्लाहो तआला अन्होंसे रिवायत है के सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लम का इरशाद हैके जिसने जोहरकी फ़र्ज़ नमाज़से पहलेकी
चार रकअत सुन्नत पढ़ी तो गlया उसने तहज्जुदकी चार रकअते पढ़ी.
📚(हवाला:- तिब्रानी शरीफ)

2. असह (ज़यादह सच) यह है के सुन्नते-फज़रके बाद जोहर की पहली चार सुन्नतो का मर्तबा है. हदीसे पाकमें जोहरकी चार सुन्नतो के बारेमे इरशाद है के सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लमने फरमाया जो जोहरकी चार रकत सुन्नतोको तर्क करेगा उसे मेरी सफ़ाअत नसीबनहीं होगी.

3. एक ज़रूरी वज़ाहत:-जव्वाल का वकत हरगिज़ मकरूह नहीं बल्कि जव्वाल शुरू होतेही ज़ोहर की नमाज़का वकत शुरू होता है.

4. मसअला:- अगर किसीने जोहरकी जमाअतके पहलेकी चार रकत सुन्नते न पढ़ी हो, और जमात काइम हो जाए तो जमाअतसे फ़र्ज़ नमाज़ पढ़नेके बाद दो रकत सुन्नते पढ़ले. फिर चार सुन्नते पढ़े.
(फतव-ऐ-रज़वीययह, जिल्द-3, सफा-617)

5. मसअला:- अगर चार रकत सुन्नते मोअक्केदह पढ़ रहा है और जमाअत कायम हो जाए तो दो रकत पढ़ कर सलाम फैरदे
और जमाअत मे शरीक हो जाए और जमाअतके बाद पहले दो और फिर चार रकत नए सिरेसे पढे.
📚(फतव-ऐ-रज़वीययह, जिल्द-3, सफा-611)

6. मसअला:- ज़ोहर की नमाज़ के फ़र्ज़से पहले जो चार रकत सुन्नते मोअक्किदह है वोह एक सलामसे पढे. पहले काएदे में सिर्फ अतहयात पढ़कर तीसरी रकतके लिए खड़ा हो जाए. और अगर भूल कर दरूद शरीफ पढ़ लिया तो सजद-ऐ-साहव वाजिब हो जाएगा. इन सुन्नतो की चारो रकतमें सुर-ऐ-फातेहा के बाद कोई सूरत ज़रूर पढे.

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