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नापाकी के हालत मे कौन सी बाते हराम है!*
जिस को नहाने (गुस्ल) की जरुरत हो, उसको मस्जीद मे जाना, काबा का तवाफ करना, कुरआन ए करीम को छुना, बे देखे या जुबानी पढना, या किसी आयत का लिखना, या ऐसी अंगुठी पहनना या छुना जिसपर कुरआन की कोई आयत या अदद या हुरुफे मुकत्तआत लिखे हुए हो, दिनी किताबे जैसे हदीस, तफ्सीर, और फिक्ह वगैरह की कितीबे छुना यह सब हराम है!अगर कुरआन ए करीम जुज्दान मे हो या कपडे मे लिपटा हुआ हो तो उसपक हाथ लगाने मे हर्ज नही! अगर कुरआन की कोई आयत कुरआन पढने की नियत से न पढी सिर्फ तबर्रुक के लिये बिस्मिल्लाह!अलहम्दु लिल्लाह! या सुरह ए फातीहा या आयतल कुर्सी या ऐसी कोई आयत पढी तो कोई हर्ज नही! इसी तरह दरूद शरीफ और कलमा भी पढ सकते है!
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कानुन ए शरीयत जिल्द 1, सफा नं 28*

*मस्अला
नापाक का झुठा नापाक मर्द व औरत का और हैज व निफास वाली औरत का झुठा पाक है! इसी तरह उसका पसीना या थुक किसी कपडे या जिस्म से लग जाए तो नापाक न होंगा

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बुखारी शरीफ जिल्द 1 सफ: 193, कानुन ए शरीयत जिल्द 1, सफा नं 46*

*मस्अला
नापाक का नमाज पढना रात मे सोहबत की हो तो नमाजे फज्र से पहले, और अगर दिन मे सोहबत की हो तो अगली नमाज से पहले गुस्ल करले ताकी नमाज कजा न हो जाए, और ज्यादा वक्त तक नापाकी की हालत मे रहना न पडे की नापाक शख्स से रहमत के फरीश्ते दुर रहते है!

गुस्ल की जरुरत है, और वक्त तंग है की अगर गुस्ल करता है तो फज्र की नमाज का वक्त खत्म हो जाएंगा और नमाज कजा हो जाएंगी ऐसी हालत मे तयम्मुम करके घर पर ही नमाज पढले, फिर उसके बाद गुस्ल करके उसी नमाज को दुबारा पढे! _(इस तरह से अदा नमाज पढने का ही सवाब मिलेंगा)!_
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अहकाम ए शरीयत जिल्द 2, सफा नं 172*

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जिस घर मे नापाक हो:-* अक्सर मर्द और औरते शर्म व हया से गुस्ल नही करते और नापाकी की हालत मे कई कई दिन गुजार देते है! यह बहुत ही बडी नहुसत और जाहीलाना तरीका है!

हदीस ए पाक मे है जिस घर मे नापाक मर्द या औरत हो, उस घर मे रहमत के फरीशते नही आते, उस घर मे नहुसत व बेबरकती आ जाती है, कारोबार रिज्क से बरकत दुर हो जाती है और मुफ्लीसी, गुरबत, तंगदस्ती का बसेरा हो जाता है!
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गुस्ल से पहले बाल काटना
गुस्ल करने से पहले नापाकी की हालत मे जेरे नाफ, बगल, सर, नाक के बाल और नाखुन वगैरह न काटे


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किमीया ए सआदत सफ नं 267*

नापाक हालत मे जेरे नाफ के बाल, नाखुन, और सर के बाल वगैरह कांटना मना है, क्यु की आखीरत मे तमाम अज्जा उसके पास वापस आऐंगे तो नापाक अज्जा का मिलना अच्छा नही! यह भी लिखा है के हर बाल इंसान से अपनी नापाकी का मुतालबा करेंगा!”
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इहया उल उलुम जिल्द 2, सफा नं 96,*

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