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वह गर्मियों की एक तपती दोपहर थी। ऑफिस से मैं छुट्टी ली हुई थी क्योंकि घर के कुछ जरूरी काम निपटाने थे। बच्चों को कंप्यूटर पर गेम खेलना सिखा रहा था कि बाहर बेल बजी। काफी देर के बाद दूसरा बैल हुई तो मैं जाकर दोराज़ह खोला। सामने मेरी ही उम्र के एक साहब खड़े थे।
“… अ अलैकुम ….!”
उन्होंने बेहद अच्छे तरीके से हाल चाल पुछा। पहले तो मेरे मन में ख्यालआया यह कोई चंदा आदि लेने वाले हैं। उनके चेहरे पर दाढ़ी खूब सज रही थी, और कपड़े से वह चंदा मांगने वाले हरगिज़ नहीं लग रहे थे।
“जी फरमाये, मैंने पूछा।
“आप ताहिर साहब हैं?”
” जी ” मैं मुख़्तसर जवाब दिया।
“वे मुझे रफीक साहब ने भेजा है। शायद आपको किराएदार की जरूरत है।”
हाँ हाँ …!
“मुझे अचानक याद आया कि मैं ऑफिस के एक साथी को बताया था कि मैं अपने घर का ऊपर वाला हिस्सा किराए पर देना है अगर कोई नेक और छोटे परिवार उसकी नज़र में हो तो बताए। क्योंकि कार्यालय वेतन खर्च पूरे नहीं होते। मुझे दुख हुआ कि मैं इतनी धूप में काफी देर इसे बाहर खड़ा रखा। ”

इसे छह महीने के लिए मकान किराए पर चाहिए था। क्योंकि अपना मकान गिराकर दुबारा तामीर करवा रहे थे। मैं तीन हजार किराया बताया। लेकिन बात दो हजार से पक्की हो गई।
वह चला गया तो मुझे अफसोस होने लगा कि किराया कुछ कम है। जबकि ऊपर केवल एक छोटा सा कमरा, रसोई और बाथरूम था।
मुझे अपनी पत्नी की तरफ से डर लगा था कि उसे पता होगा तो कितना झगड़ा होगा। और वही हुआ। बकौल उसके दो हजार तो केवल बच्चों की फीस है। मुझे उसने काफी बुरा भला कहा और चुपचाप सुनता रहा, और अपनी किस्मत को कोसते रहा
मैं एमएससी में बहुत ज़्यादा नंबर से किया था। इसलिए तुरंत नौकरी मिल गई, नौकरी मिली तो शादी भी तुरंत हो गई।
मेरी पत्नी भी बहुत पढ़ी लिखी थी। वह भी एक अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाती थी, हमारे तीन बच्चे थे। मगर खर्चा बहुत मुश्किल से चलता था।

अगले ही दिन वह साहब और उनकी पत्नी बच्चे हमारे घर पे आ गए। उनकी पत्नी ने पूरी शरई पर्दा क्या हुआ था। दोनों बड़े बच्चे बहुत ही सभ्य और सुंदर थे। छोटा गोद में था।
कुछ दिनों बाद एक दिन में ऑफिस से आया तो मेरी पत्नी ने बताया कि मैं बच्चों को किराएदार महिला से कुरान पढ़ने के लिए भेज दिया है। अच्छा पढ़ाती हैं, अपने बच्चे इतनी सुंदर किरात करते हैं।

कुछ दिन बाद जब मैं उनके एक बेटे से केरात सुनी तो पहली बार मेरे मन में इच्छा उभरी कि काश हमारे बच्चे भी इतना अच्छा कुरान पढ़ें।
एक दिन में बाहर जाने लगा तो अपनी पत्नी से पूछ ही लिया कि वह पार्लर जाएगी तो लेता चलूं। क्योंकि पहले तो दो महीने में तीन चार बार पार्लर जाती थी और इस महीने में एक बार भी नहीं गई थी।
उसने जवाब दिया कि पार्लर फिजूलखर्ची है। जितनी रौनक चेहरे पर पांच बार वुज़ू करने, नमाज़ और तिलावत से आती है किसी चीज़ से नहीं आती। अगर ज्यादा जरूरत हो तो घरेलू उपयोग की वस्तुओं से ही चेहरे पर निखार रहता है।
एक दिन में केबल पर ड्रामा देख रहा था तो मेरे छोटे बेटे ने मुझे बिना पूछे टीवी बंद कर दिया और मेरे पास आकर बैठ गया।
“बाबा यह बेकार काम है। आप अपने नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का एक कहानी सुनाऊं।”
मुझे गुस्सा तो बहुत आया लेकिन अपने बेटे की ज़बानी जब कहानी सुना तो मेरा दिल भर आया।
“यह तुम्हें किसने बताया,” मैंने पूछा।
“हमारी उस्तानी … वह कुरान पढ़ाने के बाद आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और सहाबा के बारे में बताती हैं।”
अपने घर और पत्नी बच्चों के तेजी से बदलते हालत देख कर हैरान हो रहा था कि एक दिन पत्नी ने कहा कि केबल कटवादें। कोई नहीं देखता और वैसे भी फिजूलखर्ची और ऊपर से गुनाह है।
कुछ दिन बाद पत्नी ने खरीदारी पर जाने को कहा तो मैं फ़ौरन तैयार हो गया, वह काफी दिनों बाद खरीदारी का कहा था वरना पहले तो आए दिन बाजार जाना रहता था।
“क्या खरीदना है?” मैंने पूछा।
” बुर्का ….. !! ”
क्या ??
मैं हंसा तो वह बोली,
” पहले कितने ही गैर शरई काम करती थी, आपने कभी मजाक नहीं उड़ाया था, अब अच्छा काम करना चाहती हूं तो आप मजाक सूझ रहा है। ”
कुछ न बोला।
फिर कुछ दिन बाद उसने मुझे काफी सारे पैसे दिए और कहा फ्रिज की बाकी कीमत अदा कर दें। ताकि अधिक किश्तें न देनी पड़े।
“इतने रुपए की बचत कैसे हो गई?”
“बस हो गया”, वह मुस्कुराई
“जब इंसान अल्लाह के बताए हुए हुक्मों पर चलने लगे तो बरकत खुद बखुद हो जाती है.यह भी वे किराएदार महिला ने बताया है ”

सकून मेरे अंदर तक फैल गया.मेरी पत्नी अब न मुझे कभी लड़ी, न शिकायत की। बच्चों को वे घर में पढ़ा देती है। खुद बच्चों के साथ कुरान तजविद से पढ़ना सीख रही थी, वह खुद नमाज़ पढ़ने लगी थी, और बच्चों को सख्ती से नमाज़ पढ़ने भेजा।
मुझे एहसास होने लगा कि निजात का रास्ता यही तो है। पैसा और सजावटी आराम नहीं है। सकून तो बस अल्लाह की याद में है।
मुझे उस दिन दो हजार किराया थोड़ा लग रहा था, आज सोचता हूँ तो लगता है कि वह तो इतना अधिक था कि आज मेरा घर सकून से भर गया है।

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जज़ाक अल्लाह

As-salam-o-alaikum my selfshaheel Khan from india , Kolkatamiss Aafreen invite me to write in islamic blog i am very thankful to her. i am try to my best share with you about islam.
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