Islamic Blog

                                                         -शब-ए-बरात के नवाफ़िल और सलातुत तस्‍बीह-

शब-ए-बरात पर लोग जितनी नवाफिल नमाज़ पढना चाहें पढ़ सकता है इन मौकों पर नवाफ़िल नमाज़ें तो बहुत हैं मगर यहाँ कुछ नवाफ़िल नमाज़ के बारे में बताया जाता है मगर यह बात क़ाबिल गौर और जानना बहुत ज़रूरी है कि जिस शख्स के ज़िम्मे में क़ज़ा नमाज हों वह चाहे मर्द हो या औरत, इनका पढ़ना (अदा करना) उनके लिए जल्द से जल्द वाजिब है कज़ा नमाजें पढ़ना नफ्ल नमाज़ पढ़ने से अफजल है यानी जिस वक़्त नफ्ल नमाज़ पढता है या इन्हें छोड़कर क़ज़ा नमाज अदा करें ताकि बरीउज्ज़िम्मा हो जाए और साथ-साथ उन क़ज़ा नमाजों की तौबा भी करें और अहद करें कि अब से कोई कजा नहीं होगी |

                                                                   -मगरिब की नमाज़ से पहले पढ़ें-

माहे साबान की 14 तारीख को मगरिब की नमाज़ से पहले 40 मर्तबा ये पढ़े

لَاحَوْلَ وَلَا قُوَّۃَ اِلَّا بِااللّٰہِ الْعَلِیِّ الْعَظِیْمِ

और सो  मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ने की बरकत से  40 वर्ष के गुनाह माफ होते हैं  और जन्नत में खिदमत के लिए 40 हूर मामूर कर दी जाती हैं 

                                                              -मुहताजी, आफत, और बलियात से महफूज़-

मगरिब की नमाज के बाद 6 रकात नवाफ़िल नमाज़ इस तरह पढ़ें की 2 रकात नमाज नफ्ल बारा ए दराज़ी ए उम्र बिलखैर पढ़ें फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर दुबारा दो रकात नफिल बारा ए तरक्क़ी व कुशादगी ए रिजक पढ़े फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर और 2 रकात नफिल जमीन व आसमान के मुसीबतों से महफूज़ रहने के लिए पढ़ें फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर दुआ ए शाबान पढ़ें इंशाल्लाह 1 साल तक मुहताजी, आफत, और मुसीबत करीब नहीं आएंगी |

                                                                           4900 हाजतें पूरी होने के लिए

हजरत ख्वाजा हसन बसरी रादिअल्लाहु अनह फरमाते हैं कि मुझे 30 सहाबा कराम ने बयान किया है कि इस रात जो शख्स यह नमाज ए खैर पढ़ता है तो अल्लाह उसकी तरफ 70 मर्तबा नजर ए रहमत फरमाता है एक नजर में 70 हाजतें पूरी फरमाता है जिनमें सबसे छोटी हाजत गुनाहों की मगफिरत है इस तरह कुल 4900 हाजतें पूरी होती हैं इसका तरीका यह है कि 2-2 रकात करके सलात ए खैर मुस्ताहब की नियत करें हर रकात मैं सूरह फातिहा के बाद 10 बार सूरह इखलास पढ़ें 50 नमाज़ों की सो रकातों में 1000 मर्तबा सूरह इखलास पढेंगे |

गौसुल आलम महबूबे यजदानी सुल्तान सैयद मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी रादिअल्लाहु अनह फरमाते हैं शबे बरात में 100 रकात नमाज अदा करें 50 सलाम के साथ | इसके हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 10 बार सूरह इखलास पढ़े जब नमाज से फ़ारिग हो जाए तो सजदे में सर रखकर यह दुआ पढ़ें तर्जुमा: मैं पनाह मांगता हूं तेरे चेहरे के नूर से जिससे सात आसमान और सात जमीन रोशन हैं और इससे तारीकियाँ छट गई और सालिह हो गया इस पर अम्र अव्वलीन व आखिरीन तेरी निमत के आने से और तेरी आखिरत की लपेटने से और तहरीर शुदा बदी से जो साबिक़ में सरज़द हुई मैं पनाह मांगता हूं तेरे अफ़व के साथ तेरे आजाब से, और मैं पनाह मांगता हूं तेरे रिज़ा के साथ और तेरे गज़ब से मैं पनाह मांगता हूं तुझसे तेरी सना ए अज़ीम से तेरी रहमत बे इंतिहा है मैं तेरी सना का इहाता इस तरह नहीं कर सकता जिस तरह तूने ख़ुद अपनी सना की है इसके बाद बैठ जाए और दुरूद शरीफ पढ़कर यह दुआ मांगे | तर्जुमा: ए अल्लाह मुझे ऐसा दिल अत फरमा जो शिर्क से पाक और बद बख्ती से बरी हो उसके बाद अल्लाह से हाजत तलब करे अलबत्ता क़ुबूल होगी

                                                  

                                                           -तमाम सारे छोटे बड़े गुनाहों की माफी के लिए ये पढ़े-

8 रकात नफिल दो-दो करके पढ़ें, हर रकात में सूरह फातिहा का जिक्र करने के बाद 25 मर्तबा सूरह इखलास पढ़ कर ख़ुलूस ए दिल से तौबा करें और इस दुआ को

اَللّٰہُمَّ اِنَّکَ عَفُوٌّ کَرِیْمٌ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّیْ یَا غَفُوْرُ یَا غَفُوْرُ یَا غَفُوْرُ یَا کَرِیْمُ

खड़े होकर, बैठ कर, और सजदे में 44 मर्तबा पढ़ें गुनाहों से ऐसे पाक हो जाएंगे जैसे कि आज ही पैदा हुए हों |

हिंदी में- (अल्लाह आपको प्यार करता है, मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो।)

                                                                  -रिजक में बरकत और कारोबार की तरक्की के लिए-

 2 रकात नमाज हर रकात में सूरह फातिहा के बाद आयतुल कुर्सी एक मर्तबा सूरह इखलास 15 मर्तबा पढ़ें | सलाम के बाद 100 मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ें फिर 313 बार

                                                      یَاوَھَّابُ یَا بَاسِطُ یَارَزَّاقُ یَا مَنَّانُ یَا لَطِیْفُ یَا غَنِیُّ یَا مُغْنِیُّ یَا عَزِیْزُ یَا قَادِرُ یَا مُقْتَدِرُ

पढ़ने से कारोबार में बरकत और रिजक में बढ़ोतरी हो जाती है |

                                                      -मौत की सख्ती से आसानी और अजाबे कब्र से हिफाजत-

4 रकात पढ़ें हर रकात में सूरह फातिहा के बाद सूरह तकासुर एक मर्तबा और सूरह इखलास बार पढ़कर सलाम के बाद सूरह मुल्क 21 मर्तबा और सूरह तौबा की आखिरी दो आयत है 21 बार पढ़ने से इंशाल्लाह मौत की मौत की सख्तीयों और कब्र के आजाब से महफूज रहेंगे |

Asalam-o-alaikum , Hi i am noor saba from Jharkhand ranchi i am very passionate about blogging and websites. i loves creating and writing blogs hope you will like my post khuda hafeez Dua me yaad rakhna.
mm