सूरह लहब मक्की सूरत है इस में पांच आयतें हैं
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
1. तब्बत यदा अबी लहबिव वतब्ब
2. मा अगना अन्हु मलुहू वमा कसब
3. सयसला नारन ज़ात लहब
4. वम रअतुहू हम्मा लतल हतब
5. फिजीदिहा हब्लुम मिम मसद
Soorah Lahab
1. TABBAT YADA ABI LAHABIW WATABB
2. MA AGNA ANHU MALUHU WAMA KASAB
3. SAYASLA NAARAN ZATA LAHAB
4. WAM RA ATUHU HAMMA LATAL HATAB
5. FIJIDIHA HABLUM MIM MASAD
हिंदी तर्जुमा
शुरू अल्लाह के नाम से जो बहुत बड़ा मेहरबान व निहायत रहम वाला है।
1. अबू लहब के दोनों हाथ टूट जाएँ और वो हलाक हो जाये
2. न तो उसका माल उसके काम आया न तो उसकी कमाई
3. अब वो भड़कती आग में दाखिल होगा
4. और उसकी बीवी भी जो सर पर लकड़ियाँ लाद कर लती है
5. उसके गले में एक खूब बटी हुई रस्सी होगी
सूरह लहब की तफसीर
अल्लाह के रसूल स.अ. ने जब इस्लाम की तबलीग शुरू की तो सब से ज्यादा जिन का साथ मिला वो आप स.अ. के चचा “अबू तालिब” थे और जिन की तरफ से सब से ज्यादा तकलीफ पहुंची वो भी आपका चचा “अबू लहब” था |
अबू लहब को अबू लहब क्यूँ कहा जाता था
अबू लहब का असल नाम “अब्दुल उज्ज़ा” था उसकी खूबसूरती की वजह से उसको अबू लहब कहा जाता था यानी ऐसा शख्स जिसका चेहरा शोले की तरह दमकता है , उसकी बीवी का नाम उम्मे जमील था | रसूल स.अ. के नबी बनाये जाने के बाद जब तक ये दोनों मियां बीवी जिंदा रहे नबी स.अ. को तकलीफ पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी |
ये सूरत कब नाजिल हुई
जब हुज़ूर स.अ. ने अल्लाह तआला के हुक्म से पहली बार सफा पहाड़ी पर चढ़ कर मक्का वालों को जमा किया और उन के सामने इस्लाम की दावत पेश की तो अबू लहब ने कहा “ तुम हालाक हो जाओ क्या तुमने हमें इसीलिए जमा किया था ” उस मौके पर ये सूरत नाजिल हुई
उसकी बीवी उम्मे जमील भी आप स.अ. को तकलीफ पहुँचाने में आगे आगे रहती थी हालाँकि अबू लहब मक्का के दौलत मंद लोगों में था लेकिन कंजूसी का ये हाल था कि उसकी बीवी पीठ पर लकड़ियों का ढेर उठा कर लाती थी और बुनी हुई रस्सी से अपनी पीठ पर रख कर गर्दन से बाँध लेती थी
चुनांचे इस सुरह में अबू लहब और उसकी बीवी के हुए बुरे अंजाम का ज़िक्र है ये “ हाथ टूट जाएँ और बर्बाद हो जाये ” एक मुहावरा है जो उर्दू में भी बोला जाता है
अबू लहब का अंजाम
चुनांचे अबू लहब का अंजाम ये हुआ कि बदर की लड़ाई के एक हफ्ता बाद ही उसको एक फैलने वाली बीमारी लग गयी जिस से वो मर गया और मरने के बाद उसकी लाश तीन दिन तक यूँ ही पड़ी रही लोग इस डर से कहीं ये बीमारी उन को न लग जाये करीब नहीं जाते थे |
जब तीन दिन गुज़र गए और बदबू बहुत बढ़ गयी तो किसी तरह उसके लड़कों ने उस पर दूर से पानी बहा दिया और मक्का के ऊपरी हिस्से पर एक दीवार से लगा कर ऊपर से पत्थर डाल दिया इसी लिए अल्लाह ने फ़रमाया कि “ उसका माल और उसकी कमाई कुछ काम न आयेगा ” ये तो दुनिया का हाल है और आखिरत में जो होगा वो तो उससे कहीं ज्यादा दर्दनाक है |
अबू लहब की बीवी उम्मे जमीला का अंजाम
अबू लहब की बीवी उम्मे जमीला का हाल ये हुआ कि वो लकड़ी उठा कर लाया करती थी उसकी रस्सी उसकी गर्दन का फंदा बन गयी और वो मर गयी आयत नंबर 4 और 5 ( हम्मा लतल हतब ) में इसी तरफ इशारा है |
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