लिइलाफि कुरैश
ईलाफ़िहिम रिहलतश शिताईवस सैफ़
फल यअबुदू रब्बा हाज़ल बैत
अल्लज़ी अत अमहुम मिन जुए व आमनहुम मिन खौफ़
Tarjuma
(शुरु अल्लाह के नाम से जो सब पर
मेहरबान बहुत मेहरबान है)
चुकि कुरैश के लोग आदि है।
यानी वो सर्दी ग़र्मी के मौसमो में यमन और शाम के सफर करने के आदि है।
इसलिय उन्हे चाहिए के वो उस घर के मालिक कि इबादत करे।
जिसने भूँक कि हालत में उन्हे खाने को दिया और बद-अमली से उन्हे मेहफूज़ रक्खा।
फजीलत/ तफसीर
- अल्लाह तआला फरमाते है कि कुरैश के लोग सख्त मौसम के आदि है
- अल्लाह तआला इसी सूरत में आगे फरमाते है कुरैश ए मक्का चाहे सर्दी हो या ग़र्मी वो इतने सख्त मौसमो में भी तिजारत करते थे मतलब सर्दी के मौसम मे यमन का सफर करते थे क्यूकि वहा का मौसम गर्म रहता था। और गर्मी के मौसम मे शाम का सफर किया करते थे क्यूकि वहा का मौसम ठंडा हुआ करता था। उस वक्त अरब में बहुत चोरीया हुआ करती थी जो भी काफिला सफर करता वहा के बद्दू उसे लूट लिया करते थे लेकिन कुरैश के काफिलो को नही लुटते थे क्योकि कुरैश के लोग काबा कि देख – रेख करते थे और उस समय काबा में बुत रखे हुये थे उन्हे पता था अगर हम कुरैश के काफिले को लुटेगे तो ये हमारे बुत को काबा से बाहर फेक देंगे इसलिय कुरैश के लोग बेखौफ तिजारतो सफर किया करते थे।
- अल्लाह तआला फरमाते है कि हमने कुरैश को इतने इनआम काबा अल्लाह के घर कि खिदमत कि वजह से दिये है हमने उन पर इतने इनआम किये कि को ठीक से तिजारत करते है मुनाफा उठाते है तो तुम्हे (कुरैशो) भी चाहिए कि तुम इस काबा के हक़ीकी रब असली रब अल्लाह तआला कि इबादत करो।
- अल्लाह तआला ने कुरैश को भूँक में खाने को दिया और उन्हे बद-अमली से उन्हे महफूज़ रक्खा भूँक से मुराद ये है कि अल्लाह तआला के घर काबे कि वजह से वो महफूज़ रहते और खुल कर तिजारत करते बिना खौफ के और जब वो तिजारत करते तो अपने लिये ही करते तिजारत से जो माल आता उससे वो अपना खान पान करते। महफूज़ रखने से मुराद ये है कि कुरैश जब तिजारत किया करते थे तो अल्लाह ने कुरैशो को लुटने से बचाया।
- अरब में क्यो इतनी डकैत हुआ करती थी वहा कुछ ऐसे इलाके थे जहाँ किसी कि हुकूमत नही थी और बहुत ग़रीब लोग थे इसी वजह से काफ़िलो के साथ लूट किया करते थे।
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