34 सूरए सबा- दूसरा रूकू
*34 सूरए सबा- दूसरा रूकू* और बेशक हमने दाऊद को अपना बड़ा फ़ज़्ल (कृपा) दिया (1)(1) यानी नबुव्वत और किताब, और कहा गया है कि मुल्क और एक क़ौल यह है कि सौंदर्य वग़ैरह तमाम चीज़ें जो आपको विशेषता के…
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*34 सूरए सबा- दूसरा रूकू* और बेशक हमने दाऊद को अपना बड़ा फ़ज़्ल (कृपा) दिया (1)(1) यानी नबुव्वत और किताब, और कहा गया है कि मुल्क और एक क़ौल यह है कि सौंदर्य वग़ैरह तमाम चीज़ें जो आपको विशेषता के…