☆तकब्बुर….
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•सवाल : तकब्बुर क्या है ??
•जवाब : खुद को अफजल और दुसरे को हकीर जानने का नाम तकब्बुर है,,
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♥अल कुरआन :
“और याद करो जब हम (अल्लाह) ने फरिश्तो को हुक्म दिया की आदम को सजदा करो तो सब ने सज्दा किया, सेवाए इबलीस के, और ओ गुमराह मे आ गया और काफीर हो गया..
(अल-बकराह,34 कंजुल इमान, Mohammed Arman Gaus
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✿हदीस : नबी ए करिम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फरमाते है।-
“तकब्बुर हक की मुखालिफत और लोगो को हकीर जानने का नाम”
(सहीह मुस्लिम, किताब उल इमान, बाब-तहरिम उल कबीर, हदीस-91,)
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✿तकब्बुर से अपने नफ्स की पाकीजगी न जताया करो,
जो परहेजगार है उसको अल्लाह खुब जानता है।…
(मुस्लिभ शरिफ,)
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✿ओ शख्स किस तरह तकब्बुर कर सकता है, जो मिट्टी से बना हो, मिट्टी मे मिलने वाला हो, और मिट्टी मे किड़े-मकोड़े की गिजा बनने वाला हो,
(हजरत अबु बक्र रजी अल्लाहु अन्हु)
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✿तकब्बुर : “शैतानी सिफ्फत है अगर तुम अपने तकब्बुर को तोड़ना चाहते हो तो किसी गरिब और मुफलीस को सलाम किया करो..!!
(ख्वाजा गरिब नवाज रहमतुलल्लाह अलैही)
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