Toilet Etiquette Hindi | बैतूल खला व इस्तिंजा के आदाब
Toilet Etiquette | बैतूल खला व इस्तिंजा के आदाब | Hindi
मज़हबे इस्लाम की खासियत है कि उसने ज़िन्दगी के किसी किनारे को भी नहीं छोड़ा जहा उसने रहनुमाई न की हो या रास्ता न दिखाया हो क़ज़ाए हाजत जो कि इंसान की एक ज़रुरत है जिस का ज़िक्र आम बोल चाल में अच्छा नहीं माना जाता लेकिन इन छोटी छोटी चीज़ों में भी इस्लाम ने रहनुमाई की है|
हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ियल लहू अन्हु से कुछ मुशरिक लोगो ने मज़ाक़ करते हुए कहा : “तुम्हारा नबी तुम्हे हर चीज़ सिखाता है यहाँ तक क़ि पेशाब पाखाना करना भी तो हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ियल लहू अन्हु ने बड़े फख्र से कहा हाँ हमारे नबी हम को पेशाब पखाना करते वक़्त क़िब्ला की तरफ मुंह करके या पीठ करके और दाये हाथ से इस्तिंजा करने से रोकते है”
इस्तिंजा का मतलब
इस्तिंजा के मानी पेशाब पखाना की जगह से गन्दगी को पूरी तरह दूर कर देना पानी से या मिटटी के ढेले से हो |
क़ज़ाए हाजत के लिए कोई ऐसी जगह ढूंढ़नी चाहिए जहा किसी दुसरे इंसान की नज़र न पड़े
क़ज़ाए हाजत के वक़्त कोई ऐसी चीज़ नहीं रखनी चाहिए जिस पर अल्लाह का नाम लिखा हो जैसे अंगूठी उसे उतार लेना चाहिए
जाते वक़्त पहले अपना बांया पांव रखना चाहिए उसके बाद ये दुआ पढ़नी चाहिए
اَللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ الْخُبْثِ وَالْخَبَائِث
अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ुबिका मिनल खुबुसि वल खबाईस
तर्जुमा : ऐ अल्लाह मैं नर मादा व नापाक रूहो से तेरी पनाह चाहता हूँ
बैतुलखला में न तो अल्लाह का ज़िक्र करना चाहिए और किसी क़िस्म की बात करनी चाहिए कोई सलाम करे तो उसका जवाब भी नहीं देना चाहिए
क़ज़ाए हाजत के वक़्त न तो इंसान को न क़िब्ला की तरफ मुंह करना चाहिए और न पीठ चाहे खुले मैदान में हो या घर के बैतूल खला में
क़ज़ाए हाजत के लिए नरम और पस्त ज़मीन तलाश करनी चाहिए ताकि पेशाब की छींटे कपड़ों पर न पड़ सके
किसी सूराख में पेशाब नहीं करना चाहिए
ऐसी जगह क़ज़ाए हाजत न करना चाहिए जहा लोग बैठते या गुज़रते हों
ग़ुस्ल खाने में पेशाब नहीं करना चाहिए क्यूंकि इस से वस्वसे की बीमारी पैदा होती है वो अलग बात है कि ग़ुस्ल खाने में पानी निकलने का रास्ता ठीक ठीक बना हो और पानी ठहरता न हों तो और पेशाब के छींटों से हिफाज़त रहती हो तो मन नहीं लेकिन फिर भी एहतियात करना चाहिए
बहते हुए या ठहरे हुए पानी में पेशाब नहीं करना चाहिए
खड़े होकर पेशाब नहीं करना चाहिए क्यूंकि इस से कपड़ो पर छींटे पड़ने का अंदेशा है लेकिन जहां मजबूरी हो और छींटों के पड़ने का अंदेशा न हो वह खड़े होकर पेशाब करना जाएज़ है
इस्तिंजा के लिए दाया हाथ इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
इस्तिंजा के बाद हाथ ज़मीन पर मल लेना चाहिए या साबुन वगैरा से धो देना चाहिए ताकि उसकी बदबू दूर हो जाये
इस्तिंजा अगर पत्थर से किया जा रहा है तो ताक अदद (3 या 5 ) पत्थर इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन अगर तीन पत्थरों से कम इस्तिमाल किया जाता है और सफाई हो जाती है तो तीन की गिनती पूरी करना ज़रूरी नहीं इसलिए कि असल मक़सद सफाई है
बैतूल खला से निकलते वक़्त दाया पैर पहले बाहर रखना चाहिए और बांया पैर बाद में इस के बाद ये दुआ पढ़नी चाहिए
اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَذْهَبَ عَنِّيِ الْأَذٰى وَعَافَانِيۡ
अल्हम्दु लिल लाहिल लज़ी अज़हबा अनिल अज़ा व अफानी
तर्जुमा : ऐ अल्लाह मैं तेरी बख्शिश चाहता हूँ तमाम तारीफे उस अल्लाह के लिए है जिसने मुझसे गन्दगी दूर की
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