मसजिद नबवी मे नमाज हो रही
थी इमामुल
अमबिया जमाअत करा रहे थे .
पढने वाले मुकतदी चारो खलीफा थे
हजरत हुसैन की उम्र शरीफ छै साल
की थी !
मदीना शरीफ की गलयो मे
खेल रहे थे !
और
मसजिद मे आ गऐ नाना के मुसलले की तरफ
देखा
नाना सजदे मे गऐ नवासे ने छलाग लगाई और
कांधे पर
बेठ गऐ !
अरश वाले हेरान फरिशते दम बखुद हो गऐ !
मगर रुहे फितरत मुसकुरा रही थी !
JIBRAIL पुकार उठे की
मोला ये कया तमाशा हे !
ALLAH ने फरमाया जिब्रील
खामोश हो जाऔ !
:- जिस बचचे को तुम सजदे की हालत मे
MUSTAFA SALLAHO ALAIHE WASALAM के
काधो पर देख रहे हो और इसी बचचे HUSSAIN
को कल नेजे पर चढ कर कुरआन पढते भी देखना !
AAKA ने इरादा किया सरे अकदस सजदे से
उठाउ !
उतने मे जिब्रील हाजिर हुऐ our खुदावंदी
फरमान सुनाया जब तक हुसैन अपनी
मरजी
से ना उतरे तुम सजदे से सर ना उठाना !
कमली वाले ने नमाज लमबी
करदी 72 दफा
तसबीह पढी !
हजरत हुसैन अपनी मरजी से उतरे और
हसते खेलते
घर गऐ !
AMMA से कहा अममा आज अजीब बात हुई मे
नाना के कंधो पर बेठ गया और नाना ने सजदे से
सर ना उठायामा ने कहा बेटे तुमने नमाज का खनाकियाकिया नबुअत
का लिहाज ना किया !
HAZRAT HUSSAIN ने कहा अममा इस मे एक
राज हे !
अममा ने कहा कया राज हे ?
हजरत हुसैन ने कहा नाना ने मेरे लिये 72 दफा
तसबीह पढी हे
और कल करबला के मैदान मे इसके बदले अपने
नाना के दिन की खातिर 72 तन कुरबान कर
दुगा
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