जैसा कि रमज़ान का महीना शुरू हो रहा है और इस रमज़ान में दिन की इबादत रोज़ा है और रात की इबादत तरावीह है दोनों इबादतें ज़रूरी हैं वो अलग बात है कि रोज़ा फ़र्ज़ है और तरावीह सुन्नत है, आम तौर से मस्जिद में एक हाफ़िज़ इमाम पूरा कुरान तरावीह में पढ़ाता है लेकिन इस साल लॉक डाउन की वजह से हमें घर पर ही तरावीह पढना है तो घर पर तरावीह कैसे पढ़ें |
अगर आपके घर में कोई हाफ़िज़ है तो माशा अल्लाह वो पूरा कुरान तरावीह में पढ़ा सकता है लेकिन अगर कोई हाफ़िज़ नहीं है तो तो कम से कम आपको कुरान की आखिरी 10 सूरतें तो ज़रूर याद होंगी तो वही दस सूरतें पढ़ा सकते है जैसे एक हाफ़िज़ कुरान ख़त्म होने के बाद अलम तरा कैफ़ पढाता है |
आखिरी 10 सूरतें अलम तरा कैफ़ से लेकर सूरह कुल ऊजु बिरब बिन नास तक हैं
यहाँ पर हम घर पर तरावीह की नमाज़ पढने का तरीक़ा बताएँगे
नियत करता हूँ मैं दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबे शरीफ़ की तरफ अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बाँध लें
नोट : ज़रूरी नहीं कि ज़ुबान से नियत करें दिल में ही कर लें तब भी काफी है |
हाथ बाँध कर “सना” पढ़ें सुब हानकल लाहुम्मा फिर सूरह फातिहा पढ़ें इसके बाद पहली रकात में अलम तारा कैफ़ सूरह पढ़ लें और दूसरी
रकात में लि इलाफि क़ुरैश सूरह पढ़ लें
तीसरी रकात में सूरह अरा ऐतल लज़ी पढ़ें और चौथी में इन्ना आतैनाकल कौसर सूरह पढ़ें
पांचवीं रकात में सूरह कुल या अय्युहल काफ़िरून पढ़ें छठी रकात में सूरह इज़ा जा अ नसरुल लाहि वल फतह पढ़ें
सातवीं रकात में सूरह तब्बत यदा पढ़ें आठवीं रकात में क़ुल हुवल लाहू पढ़ें
नवीं रकात में क़ुल अऊजु बिरबबिल फलक और दसवीं रकात में कुल ऊजु बिरब बिन नास पढ़ें
ये दस रकात हो गयीं इसी तरह अगली दस रकातें इन्ही सूरतों के साथ पूरी कर लें
जितनी भी सूरतें याद हों पढ़ लें बाद में फिर उन्हीं सूरतों को अगली रकातों में दोहरा दें जैसे कि आप को 4 सूरतें याद हैं ये 4 सूरतें पहली चार रकातों में पढ़ लें उसके बाद फिर उन्ही सूरतों को अगली चार रकातों में पढ़ लें इसी तरह तरावीह पूरी कर लें |
जी हाँ, अगर आपको कुरान का कुछ और हिस्सा याद है तो माशा अल्लाह बिलकुल पढ़ें
हाँ, पढ़ सकते हैं ऊपर जो तरीक़ा बताया गया उसी तरीके के मुताबिक़ आप अकेले भी पढ़ सकते हैं और पढ़ा भी सकते हैं |
दो दो रकात ही पढना है चार रकात एक सलाम के साथ नहीं बल्कि हर दो रकात के बाद सलाम फेर देना है |
दिन में जिस तरह रोज़ा रखते हैं उसी तरह रात में तरावीह पढ़ना इबादत है अगरचे इस वक़्त हम मस्जिद जा नहीं जा सकते लेकिन घर पर तरावीह ज़रूर पढ़ें, और तरावीह में हर चार रकात पर एक दुआ पढ़ी जाती है उस दुआ को ज़रूर पढ़ें |
Taravih Dua In Hindi : सुबहाना ज़िल मुल्कि वल मलकूत, सुब्हान ज़िल इज्ज़ति, वल अज्मति, वल हैबति, वल क़ुदरति, वल किबरियाइ, वल जबरूत
सुब्हानल मलिकिल हय्यिल लज़ी, ला यनामु वला यमूतु, सुबबूहुन कुद्दूसून, रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर रूह
अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नार, या मुजीरू, या मुजीरू, या मुजीर
Translation : पाक है वो अल्लाह जो मुल्क और बादशाहत वाला है, पाक है वो अल्लाह जो इज्ज़त वाला, और अज़मत वाला, और हैबत वाला, और कुदरत वाला, और बड़ाई वाला, और सतवत वाला है
पाक है वो अल्लाह जो बादशाह है, जिंदा रहने वाला कि न उसके लिए नींद है और न मौत है, वो बे इन्तेहा पाक है और बेइंतेहा मुक़द्दस है, हमारा परवरदिगार फरिश्तों और रूह का परवरदिगार है
ए अल्लाह हमें आग से बचाना ए बचाने वाले, ए बचाने वाले, ए बचाने वाले
हर चार रकात के बाद इस दुआ को पढना है, दो रकात पर नहीं
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