islamic Story

क़िस्सा एक बादशाह और शहज़ादी का

☆ बादशाह की सात बेटियां थी, एक दिन वो अपनी सभी बेटियों को बुलाता है और उनसे एक सवाल पुछता है के बताओ तुम किसका दिया हुआ खाती हो.? और किसका दिया पहनती हो..??
☆एक एक करके सब शहज़ादियों ने कहा के अब्बा हुज़ुर आपका दिया खाती हूं और आपका दिया ही पहनती हूं, मगर सबसे छोटी शहज़ादी ने कहा के अब्बा हुज़ुर अल्लाह का दिया खाती हूं और नसीब का पहनती हूं।।
☆ सुन कर बादशाह को ग़ुस्सा आ गया कहने लगा ऐ कम्बख़्त तुने मेरी नाशुक्री की है तुझे सज़ा ज़रुर मिलेगी
बादशाह ने अपने सिपाहियों को हुकुम दिया जाओ इसे जंगल में छोड आओ..मैं भी देखता हूं ये मेरे बेग़ैर कैसे अल्लाह का दिया खाती है और कैसे अपने नसीब का पहनती है..??
☆शहज़ादी से तमाम ज़ेवरात वापिस ले लिये गये ओर एक पुराना सा कपडा पहना कर जंगल में छोड दिया गया।।
☆ शहज़ादी के चेहरे पर न कोई डर था न किसी तरह का ख़ौफ, उसे अपने रब पर पुरा भरोसा था, जो दाना मेरे नसीब में लिखा हुआ है वो मुझे मिलकर ही रहेगा।।
☆ जंगल को देखने लगी चारों तरफ दरख़त ही दरख़त थे शाम होने वाली थी, शहज़ादी ने सोंचा क्युं न कुछ लकड़ियां जमा कर लूं, रात को वही लकड़ियां जलाऊंगी ताकी कोई जानवर पास न आये और रात भी गुज़र जाएगी।।
☆ जंगल में लकड़ियां ढूंढने निकल पड़ी, उसकी नज़र एक झोंपड़ी पर पड़ी जहां बाहर एक बकरी बंधी हुई थी, और अंदर से किसी के खांसने की आवाज़ आ रही थी पहले तो हैरान हुई के जंगल के बीचोबीच कैसे.?
☆जब शहज़ादी झोंपड़ी के अंदर दाख़िल हुई तो देखा एक बूढ़ा आदमी चारपाई पर लेटा पानी पानी पुकार रहा है, शहज़ादी जल्दी से मटके से पानी निकाल कर उस बुढे आदमी को पिलाती है और झोंपड़ी के साफ सफाई में लग जाती है, आदमी शहज़ादी से पुछता है बेटी तुम कौन हो और इस घने जंगल में क्या कर रही हो.?
☆तब शहज़ादी उसे पूरा वाक़या सुना देती है के वो कैसे यहां तक पहुंची..!!!
☆ आदमी उसे झोंपड़ी में ही रहने के लिये बोलता है और कहता बेटी मैं शहर में काम करता हूं सुबह शहर चला जाऊंगा फिर एक हफ्ते बाद आऊंगा तब तक तुम आराम से यहीं रुको यहां खाने पीने का सारा सामान मौजूद है, तुम्हें किसी चीज़ की तकलीफ नही होगी।।
☆सुबह होते ही वो बूढ़ा आदमी शहर के लिये निकल पड़ता है, इधर शहज़ादी झोंपड़ी की अच्छे से साफ सफाई करती बकरी का दुध निकालती है आधा दूध अपने लिये रखती है और आधा झोंपड़ी के बाहर दरवाज़े पर एक बरतन में दूध रख देती है ताकी कोई भुखा प्यासा जानवर इधर से गुज़रे तो पी सके।।
☆शहज़ादी अगले दिन सुबह उठ कर बाहर आई तो देखा के दूध का बरतन ख़ाली है और पास ही एक क़ीमती मोती पड़ा है जो देखने में ही नायाब लग रहा था साथ ही सांप के गुज़रने के निशान भी थे।।
☆शहज़ादी ने बचपन में ही सुन रखा था के जब कोई नायाब सांप बुहत ज़्यादा ख़ुश होता है तो वो कीमती मोती उगलता है जिसकी क़ीमत हीरे जवाहरात से भी कहीं ज़्यादा होती है।।
☆शहज़ादी ने मोती उठा कर अपने पास रख लिया और दिल में सोंचने लगी शायद सांप भुखा था इस लिये दुध पी कर ख़ुश हुआ होगा।।
☆शहज़ादी फिर एक बरतन में दूध रख देती है अगली सुबह फिर उसे वही क़ीमती मोती मिलता है इसी तरह सात दिन गुज़र गये अब उसके पास सात कीमती मोती जमा हो गये थे,
☆सात दिन बाद वो बुढा आदमी शहर से वापस आता है तो शहज़ादी उसे ये मोती दिखाती है और सारा वाक़या सुना देती है, फिर शहज़ादी उस बुढे आदमी को तीन मोतियां देती और कहती के शहर जा कर इन तीनों मोतियों को बेच दो और आते वक़त महल बनाने वाले मज़दूर को लेते आना बाक़ी बचे चार मोती शहज़ादी अपने गले मे माला बना कर डाल लेती है कुछ ही महिनों में जंगल के बीचो-बीच एक आलिशान महल तैय्यार हो जाता है।।
☆जिसमे शहज़ादी और वो बुढा आदमी रहने लगता है।।
☆ऐसा महल जिसमें दुनिया के सब ऐश-ओ-आराम का सामान मौजूद था बेशुमार नेमते थी नोकर चाकर सब कुछ था, शहज़ादी जंगल में ही एक लकड़ी काटने की फैक्टरी लगा देती है जिससे हज़ारों मजदूरों को रोज़ी रोटी मिलने लगी देखते ही देखते जंगल अब शहर बन चुका था, ये महल ऐसा ख़ुबसुरत था के दूर दूर तक मशहूर हो गया, लोग इस महल की और शहज़ादी की तारीफें करते नही थकते, के शहज़ादी बहुत नरम दिल है।।
☆उड़ते उड़ते ये ख़बर बादशाह तक भी पहुंची, तो बादशाह के दिल में भी मिलने का शौक़ पैदा हुआ के देखूं तो सही कौन से मुल्क की शहज़ादी है जिसकी इतनी तारीफ हो रही है।।
☆बादशाह ने शहज़ादी के पास मुलाक़ात का पैग़ाम भेजा, जब ये पैग़ाम शहज़ादी के पास पहुंचा तो शहज़ादी ने मुलाक़ात की एक शर्त रखी के बादशाह अपनी सभी बेटियों को लेकर हमारे महल में आएंगे,
☆बादशाह ने ये शर्त मंज़ुर करते हुए अपनी सभी बेटियों को लेकर शहज़ादी के महल पहुंच जाता है।।
☆शहज़ादी चेहरे पर नक़ाब डाल कर उन सब से मिलती है उनके लिये सात रंग के खाने पेश करती है शहज़ादी का लिबास हीरे ज़ेवरात से ढका हुआ था।।
☆शहज़ादी की शान शौकत और महल की ख़ूबसूरती देख बादशाह भी हैरान हो गया क्यूंकी ऐसी शान शौकत तो बादशाह के भी महल में नही थी।।
☆बादशाह ने शहज़ादी को परदे में देखा तो कहा के तुम मेरी बेटी की तरह हो फिर मुझसे परदा क्यूं कर रही हो, तुम्हारे ही कहने पर मैं अपनी बेटियों को भी साथ लाया हूं, बादशाह के बहुत इसरार करने पर शहज़ादी ने कहा के ठीक है मैं तैय्यार हो कर आती हूं।।
☆बादशाह की सभी बेटिया आपस में सरगोशी करने लगती हैं इतनी तो तैय्यार है कितने महंगे ज़ेवरात पहने हुए है अब और कितना तैय्यार होकर आएगी, इतने में दूर से पुराने कपडों में कोई गरीब लड़की आती दिखी।।
☆बादशाह ने ग़ौर से देखा तो हैरान रह गया… ये तो उसकी अपनी ही बेटी है जिसे जंगल में छोड़ आया था.. तू अभी तक ज़िंदा है.? मैने तो सोंचा था के कोई जंगली जानवर तुझे खा गया होगा, चलो कोई बात नही अपनी शहज़ादी को बुलाओ मैं तुम्हें यहां से आज़ाद करवा कर ले जाऊंगा।।
☆यह सुनते ही शहज़ादी बोलती है नही अब्बा हुज़ुर मैं ही वो शहज़ादी हूं जिससे आप मिलने आयें हैं।।
☆मैं कहती थी के अल्लाह का दिया खाती हूं और अपने नसीब का पहनती हूं आज मेरे पास आपसे भी कई गुना ज़्यादा दौलत है।।
☆फिर शहज़ादी ने यहां तक पहुंचने का सारा हाल कह सुनाया, यह सुनते ही बाक़ी शहज़ादिया भी रश्क करने लगती हैं और सोंचती हैं के काश हमने तब यही कहा होता के अल्लाह का दिया खाती हूं और अपने नसीब का पहनती हूं
Aafreen Seikh

Aafreen Seikh is an Software Engineering graduate from India,Kolkata i am professional blogger loves creating and writing blogs about islam.

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Aafreen Seikh

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